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काफी लंबे समय से अपना रिलेवेंस खो रहे पोस्ट आफिसों में नई जान फूंकने के लिए गर्वनमेंट एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। सरकार डाकघर को शानदार सर्विस इंस्टीट्यूशन बनाना चाहती है।
वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट ने भारतीय डाकघरों को बैंकों में बदलने के लिए पिछले 10 सालों से लगातार प्रयास कर रही है।
देश में डाकघरों के विस्तार को देखें तो वर्ष 2004 से लेकर साल 2014 के बीच अलग- अलग राज्यों में 660 पोस्ट आफिस बंद किए जा चुके थे।
पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद साल 2014 से 2024 के बीच यानि करीब 10 सालों में 5,000 नए पोस्ट आफिस खोले गए और तकरीबन 5746 नए डाकघर खुलने के प्रॉसेस में हैं।
इन 10 सालों में पोस्ट आफिसों में तीन करोड़ से ज्यादा सुकन्या समृद्धि एकाउंट खोले गए हैं। इन एकाउंट्स में 1 लाख 41 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम जमा की जा चुकी है।
सेंट्रल कम्युनिकेशन मिनिस्ट्री के अनुसार डाकघर सेवा एक ऐसी सुविधा है, जिसमें देश के दूरदराज इलाके का कोई भी व्यक्ति अपने सामान का एक्सपोर्ट दुनिया में कहीं भी कर सकता है।
वर्तमान में 867 डाक एक्सपोर्ट सेंटर खोले गए हैं। इन सेंटरों से करीब 60 करोड़ रुपये से ज्यादा का एक्सपोर्ट हो चुका है।
नए एक्ट को लाने का मुख्य उद्देश्य डाकघरों को लेटर सर्विस से सर्विस प्रोवाइडर बनाने और डाकखानों को बैंकों में तब्दील करने का है।