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भारतीय मसाले MDH और एवरेस्ट दुनिया भर के रसोईघरों में लोकप्रिय ब्रांड रहे हैं। उनके प्रोडक्ट चिकन- मछली करी और सब्जी व्यंजनों में सभी जरूरी पोषक तत्व होने का दावा किया जाता हैं।
हांगकांग की जांच में कैंसर पैदा करने वाले कीटनाशक पाए जाने के बाद इन पर प्रतिबंध लग गया। अब संयुक्त राज्य अमेरिका, मालदीव, भारत व ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में जांच शुरू हो गई है।
MDH और एवरेस्ट के मालिकानों का दावा है कि उनके स्पाइस मसाले पूरी तरह सुरक्षित हैं। वह किसी भी जांच से गुजरने को तैयार हैं। आईए जानते हैं इन दोनों मसालों की बैकग्रांउड हिस्ट्री।
महाशय दी हट्टी को ही MDH के नाम से जाना जाता है, जो 1919 में नई दिल्ली में गुलाटी परिवार की ओर से शुरू किया गया। जिसके प्रमुख धर्मपाल गुलाटी थे।
विज्ञापनों और पैकेजिंग से इसकी लोकप्रियता बढ़ी। भारत के स्पाइस किंग कहे जाने वाले इसके संस्थापक धर्मपाल गुलाटी हैंडलबार मूंछें और पगड़ी पहनते थे। 2020 में उनका निधन हो गया।
MDH की वेबसाइट के अनुसार उसके 62 उत्पाद हैं। यह पिसे हुए मसालों के साथ-साथ मसाला मिश्रणों का भी कारोबार करता है। 2022- 23 में MDH का राजस्व 260 मिलियन डॉलर रहा।
MDH की 5 फैक्ट्रियां हैं। इसके उत्पाद 4 लाख से अधिक रिटेल डीलरों के माध्यम से भारत, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, कनाडा व यूनाइटेड किंगडम की बाजारों में बेचे जाते हैं।
एवरेस्ट फ़ूड प्रोडक्ट्स की शुरुआत 1967 में तीन उत्पादों के साथ हुई। इसके संस्थापक वाडीलाल भाई शाह ने 200 वर्ग फुट की छोटी सी मसाले की दुकान से अपना व्यवसाय शुरू किया।
52 उत्पादों के साथ एवरेस्ट की उत्तरी अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व, एशिया प्रशांत व अफ्रीका सहित 80 देशों में ग्लोबल प्रजेंटेशन है। 2022-23 में इसकी शुद्ध बिक्री 365 मिलियन डॉलर रही।
वेबसाइट के अनुसार करीब 20 मिलियन परिवार रोज एवरेस्ट प्रोडक्ट का प्रयोग करते हैं। हर साल 3.7 बिलियन पैक हर साल बेचे जाते हैं। भारत के 1,000 कस्बों और शहरों में 620,000 आउटलेट हैं।
बॉलीवुड सितारे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान एवरेस्ट ब्रांड एंबेसडर हैं, जो इसके प्रोडक्ट को कई टीवी विज्ञापनों में साथ दिखाई देते हैं, खासकर प्रसिद्ध चावल पकवान, बिरयानी बनाने के लिए।