Utility News
देश में 01 जुलाई 2024 से 3 नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जाएंगे। IPC की जगह BNS, CRPC की जगह BNSS लागू हो जाएगी। BNSS में अरेस्टिंग से लेकर कस्टडी तक कई चेंजेज होंगे। आईए जानते हैं।
अरेस्टिंग रूल में बहुत ज्यादा चेंज नहीं हुआ है। BNSS की धारा 35 में एक नया सब सेक्शन 7 जोड़ा गया है। इससे छोटे-मोटे क्रिमिनल्स और बुजुर्गों की अरेस्टिंग को लेकर रूल तय किए गए हैं।
BNSS के सेक्शन 35 (7) के मुताबिक ऐसे क्राइम जिनमें 3 साल या उससे कम की सजा का प्रोविजन है, उसमें आरोपी की अरेस्टिंग से पहले DSP या उससे सुपीरियर रैंक के अफसर से अनुमति लेनी पड़ेगी।
60 साल या उससे ज्यादा उम्र के आरोपी की अरेस्टिंग के लिए भी पुलिस काे अपने सुपीरियर अफसर से आर्डर लेना पडे़गा।
न्यू लॉ के मुताबिक अब पुलिस अरेस्टिंग के 60 से 90 दिन के भीतर कभी भी 15 दिन की कस्टडी मांग सकती है। पहले अरेस्टिंग डेट से मैक्सिमम 15 दिनों की पुलिस कस्टडी मिलती थी।
1980 में प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हथकड़ी के इस्तेमाल को अनुच्छेद 21 के तहत असंवैधानिक करार दिया था।
तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी कैदी को हथकड़ी लगाने की जरूरत महसूस होती है तो उसका कारण दर्ज करना होगा और मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।
परंतु नए लॉ कानून में अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 43 (3) में अरेस्टिंग या कोर्ट में पेश करते समय कैदी को हथकड़ी लगाने का प्रावधान किया गया है।
इस सेक्शन के मुताबिक यदि कोई कैदी आदतन क्रिमिनल है या पहले हिरासत से भाग चुका है या आर्गेनाईज्ड क्राइम या आतंकवादी एक्टिविटीज में शामिल रहा है तो उसे हथकड़ी लगाई जा सकेगी।
ड्रग्स, हथियार, हत्या, दुष्कर्म, एसिड अटैक, नकली सिक्कों और नोट तस्कर, मानव तस्कर, बाल यौन शोषण या राज्य के खिलाफ अपराध में शामिल रहा हो तो भी कैदी को हथकड़ी लगाई जा सकेगी।