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अक्सर लोगों के जेहन में सवाल उठता है कि धन का जीवन में कितना महत्व है और वह कितना और क्यों जरूरी है? प्रेमानंद महाराज ने इस बारे में बताया है।
प्रेमानंद महाराज ने शास्त्रों में बताए गए चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का जिक्र करते हुए लोगों की जिज्ञासा शांत की है।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि पहले धर्म है। धर्म से धन कमाकर धर्मपूर्वक चलने वाले कामनाओं की पूर्ति में लगाए तो धन का बहुत महत्व है।
वह कहते हैं कि धन से अपने परिवार और शरीर का पोषण करना दूसरी बात है। पर यदि दूसरों के हित में धन लगाया जाए तो उससे बड़ा कोई धर्म नहीं है।
वह उदाहरण देते हुए कहते हैं कि यदि कोई दूसरा व्यक्ति कहीं बीमार है। जिसकी कोई सेवा करने वाला नहीं है। यदि उसमें धन लग जाए तो व्यक्ति धन्य हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि धर्म से धन कमाया जाए और धर्मपूवर्क कामनाओं की पूर्ति की जाए तो ऐसा करने वाला भगवत प्राप्ति के मार्ग पर पहुंच जाएगा।
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