धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है। यह समझने के बाद लोग पाप और अपराधों से दूर हो जाते हैं और भगवान का आश्रय लेते हैं।
क्या आपने कभी इस बारे में सोचा कि ठीक मृत्यु के पहले इंसान के साथ क्या होता है? वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज जी ने इसी बारे में जानकारी दी है।
वह कहते हैं कि इंसान का अंतिम समय कैसा होगा। यह उसके कर्मों पर निर्भर करता है। जिसने जैसा कर्म किया है। उसका अंत भी वैसा ही होगा।
यदि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं तो उसका अंत भी अच्छा ही होगा। पर यदि किसी ने बुरे कर्म किए हैं तो फाइनल रिजल्ट भी बुरा ही होगा।
वह कहते हैं कि यह भी उसी वक्त आपके कर्मों के आधार पर तय हो जाता है कि आप किस योनि में जन्म लोगे।
उन्होंने कहा कि मौत के ठीक पहले का समय बहुत कष्टकारी होता है। किसी व्यक्ति के प्राण निकलना मामूली बात नहीं है। वह समय भयावह होता है।
वह कहते हैं कि मृत्यु के ठीक पहले की पीड़ा ठीक उसी तरह होती है। जैसे-मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण को होती है।