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भक्त ने प्रेमानंद महाराज ने पूछा कि आजकल बच्चे प्रेम विवाह में ज्यादा विश्वास करते हैं।
भक्त ने कहा कि यदि बच्चे प्रेम विवाह का प्रस्ताव अपने मां-पिता के सामने रखते हैं तो ऐसे में पैरेंट्स को क्या करना चाहिए?
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि माता-पिता को बच्चों का साथ देना चाहिए। पर यह निर्णय करते हुए कि कहीं वह नादानी में गलती तो नहीं कर रहे हैं।
वह कहते हैं कि माता-पिता को पुत्र और पुत्री दोनों पक्ष की जांच करनी चाहिए।
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि कई बार एकांत में (पैरेंट्स से) प्रार्थना कर चुके हैं कि बच्चों को संभालों। हम भगवान से भी प्रार्थना करते हैं कि सबकी बुद्धि सुधरे।
वह कहते हैं कि माता-पिता अपने बच्चों से मित्रवत व्यवहार करें। उनको अपनी बात कहने का अवसर दें। ताकि वह अपनी बात कह सकें।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि सिर्फ बाप का अधिकार जताकर गर्मी न दिखाएं। अलग होकर सोचें कि इनको हम सुख कैसे प्रदान करें या इनको हम बचाकर अच्छा कैसे बनाएं।