ट्रेन में सीट कैसे तय होती है? रेलवे का अलॉटमेंट सिस्टम समझें
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क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन में सीट कैसे तय होती है?
जब आप आरक्षित कोच में यात्रा करते हैं, तो यह सवाल ज़रूर आता होगा। जानिए इस प्रक्रिया को आसान भाषा में।
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दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल
भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है। हर दिन 2.5 करोड़ से ज्यादा यात्री सफर करते हैं।
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यात्रा के दो मुख्य तरीके
भारतीय रेलवे में यात्रा के दो मुख्य तरीके हैं। पहला आरक्षित कोच–यहां सीट पहले से तय होती है। दूसरा, अनारक्षित कोच (जनरल कोच)–इसमें कोई सीट निर्धारित नहीं होती।
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आरक्षित कोच में सीट अलॉटमेंट कैसे होता है?
ट्रेन में टिकट बुकिंग के दौरान आपको सीट चुनने का ऑप्शन मिलता है। लोअर बर्थ, अपर बर्थ, मिडिल बर्थ, साइड लोअर या साइड अपर। लेकिन, क्या आपको हमेशा वही सीट मिलती है? ?
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पहले आओ, पहले पाओ का सिद्धांत
रेलवे सीट का अलॉटमेंट पहले आओ, पहले पाओ के सिद्धांत पर काम करता है। यदि आपकी चुनी हुई सीट उपलब्ध नहीं होती, तो दूसरी सीट दी जाती है।
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ट्रेन का वजन संतुलन और सीट अलॉटमेंट
ट्रेन के संतुलन को बनाए रखना जरूरी होता है। इसलिए, पहले बीच की सीटों का अलॉटमेंट होता है, फिर आगे और पीछे की सीटों को अलॉट किया जाता है।