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ट्यूब या ट्यूबलेस टायर को लेकर लोगों में बड़ा कंफ्यूजन रहता है। कौन बेहतर है, कितना बेहतर है, कौन सस्ता पड़ेगा? जैसे तमाम सवाल लोगों के दिमाग में घूमते रहते हैं।
आज हम इन्हीं सवालों का जवाब देने जा रहे हैं कि ट्यूब और ट्यूबलेस टायर के बीच असली फर्क क्या होता है? कौन सा टायर लगवाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
ट्यूबलेस टायर में ट्यूब की आवश्यकत्ता नहीं होती। इस टायर में हवा सीधे टायर में भरी जाती है और यह अल्युमिनियम रिम के साथ सीधे जुड़ा होता है।
ट्यूबलेस टायर के कई फायदे हैं, जैसे कि बेहतर हवा स्टेशन, कम पंचर की संभावना और इमरजेंसी सेचुएशन में वाहन चालक को अधिक सुरक्षा प्रदान करता है।
ट्यूबलेस टायर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके पंचर होने पर भी हवा धीरे-धीरे निकलती है, जिससे वाहन चालक को पंचर स्थान पर पहुंचने का समय मिल जाता है।
ट्यूबलेस टायर का प्राइस अधिक होता है, लेकिन इसके लांग टर्म फायदे और कम रखरखाव लागत अधिक सुविधाजनक होते हैं।
ट्यूब वाले टायर में एक अलग रबर की ट्यूब होती है, जिसमें हवा भरी जाती है। ये टायर ज्यादातर पुराने मॉडल की बाइक्स और कारों में इस्तेमाल किए जाते हैं।
इनकी दिक्कत यह होती है कि ये सस्ते तो होते हैं, लेकिन दिक्कत ये होती है कि इनमें पंचर जल्दी हो जाता है और हवा भी जल्दी निकल जाती है।
जहां ट्यूब टायर पुरानी टेक्निक पर आधारित हैं और इन्हें जल्दी पंचर होने की समस्या से गुजरना पड़ता है वहीं ट्यूबलेस टायर न्यू जनरेशन का हाईटेक मॉडल हैं।