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इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विसेज (ECS) क्या है। यह आदमी के लिए कितनी उपयोगी है? ECS एक बैंक अकाउंट से दूसरे में पैसे भेजने का डिजिटल माध्यम है। आईए इसे विस्तार से जानते हैं ।
अपना क्रेडिट स्कोर बेहतर बनाने के लिए अपने सभी पेमेंट ड्यू डेट से पहले करना चाहिए। इसके लिए काेई भी व्यक्ति अपने बैंक अकाउंट से ECS सुविधा के जरिए सभी पेमेंट ऑनलाइन कर सकते हैं।
हर महीने SIP के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश,बिजली-पानी आदि का बिल पेमेंट करा हैं तो इसके लिए बैंक को ECS मेंडेट दे सकते हैं। लोन या क्रेडिट कार्ड का पेमेंट भी ECS से कर सकते हैं।
ECS 2 तरह के होते हैं। पहला ECS क्रेडिट किसी संस्थान द्वारा बैंक अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पैसे ट्रांसफर किया जाता है। यह वेतन, निवेश से लाभांश आदि पाने का डिजिटल तरीका है।
दूसरा ECS डेबिट बहुत से चेक काटने झंझट से मुक्ति देता है। लोन की मासिक किस्त ECS डेबिट के माध्यम से बैंक अकाउंट से कट जाती है। इसमें किसी प्रकार का झंझट नहीं होता है।
अगर आप भी बैंक अकाउंट से ECS पेमेंट की सुविधा चाहते हैं तो सबसे पहले बैंक को सूचित करें।फिर ECS मेंडेट फॉर्म भरें। इसी के माध्यम से आप बैंक को ECS क्रेडिट/डेबिट का मेंडेट देते हैं।
इसमें आपको अपने बैंक अकाउंट की शाखा एवं अकाउंट से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देनी होती है। इस फॉर्म को भरते वक्त ही ECS की अधिकतम रकम के बारे में इंस्ट्रक्शन दे सकते हैं।
एक बार ECS सेवा शुरू हो जाने के बाद जब भी आपके बैंक अकाउंट से रकम जाएगी या उसमें कोई राशि आएगी, आपको SMS के जरिये इसकी जानकारी मिल जाएगी।
बैंकिंग नियामक RBI के मुताबिक ECS के लिए कोई फीस नहीं रखी गयी है। कई बार क्लियरिंग हाउस के हिसाब से बैंक प्रति ट्रांजेक्शन 25 से 50 पैसे चार्ज ले सकते हैं।
अगर आप कोई पेमेंट रोकना चाहते हैं तो बैंक को इस बारे में सूचित करना होगा। इस प्रक्रिया में समय लगता है, इसलिए एडवांस में सूचना देनी होगी। स्टेटमेंट से एकाउंट अपडेट ले सकते हैं।