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विंडफॉल टैक्स एक प्रकार का टैक्स है जो घरेलू क्रूड ऑयल उत्पादकों पर तब लगाया जाता है जब उनके मुनाफे में एक तय सीमा से ज्यादा की बढ़ोतरी होती है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, जब कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचीं, तो भारत ने जुलाई 2022 में इस टैक्स को लागू किया था।
जब ग्लोबल मार्केट में पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन (ATF) की कीमतें घरेलू बाजार से ज्यादा होती हैं, तो तेल कंपनियां अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर ज्यादा मुनाफा कमाने लगती हैं।
सरकार ने घरेलू बाजार में ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने और रिफाइनरियों के अत्यधिक मुनाफे पर लगाम लगाने के लिए यह टैक्स लगाया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने के बाद कंपनियों के मुनाफे में कमी आई। इस स्थिति में सरकार ने फैसला लिया कि अब विंडफॉल टैक्स को खत्म कर दिया जाए।
वित्त मंत्रालय ने 30 महीने पुराने इस टैक्स को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल और पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन के निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
इस फैसले से ONGC और रिलायंस जैसी बड़ी तेल कंपनियों को राहत मिलेगी। ऑयल इंडस्ट्री के मुनाफे में बढ़ोतरी होने की संभावना है।