लड़की के एक हादसे में कट गए दोनों हाथ, फिर भी नहीं मानी हार..खोजा अनोखा तरीका और छू रही आसमान

By Team MyNation  |  First Published Sep 7, 2021, 4:11 PM IST

बिहार से एक ऐसी लड़की की कहानी सामने आई है, जिसके दोनों हाथ नहीं हैं फिर भी उसने हार नहीं मानी और मुश्किल से बाहर निकलने का रास्ता बनाया। वह अपने पैरों से लिखकर मंजिल तक पहुंच रही है।

पटना (बिहार). कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हो तो दुनिया की कोई ऐसी ताकत नहीं जो आपकी कामयाबी के बीच रोड़ा बने। बस मजबूत इच्छा शक्ति और कुछ करने का जुनून होना चाहिए। बिहार से ऐसी ही एक ऐसी लड़की की कहानी सामने आई है, जिसके दोनों हाथ नहीं हैं फिर भी उसने हार नहीं मानी और मुश्किल से बाहर निकलने का रास्ता बनाया। वह अपने पैरों से लिखकर मंजिल तक पहुंच रही है। पढ़िए एक बहादुर और जिंदादिल लड़की की कहानी...

दरअसल, राजधानी पटना की रहने वाली 14 वर्षीय तनु कुमारी ने बचपन में हुए एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो दिए। रिश्तेदार और परिवार के लोग उसे दया भाव से देखने लगे। लेकिन तनु ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए साहस और धैर्य का प्रतीक बन गई। 

तनु कुमारी ने जिंदगी में आगे बढ़ने और विकलांगता से उत्पन्न चुनौतियों को दूर करने के लिए समाधान खोजा। साथ ही संकल्प लिया कि वह अपनी कमजोरी की कभी आगे नहीं आने देगी।। उसने अपने दोनों हाथों को खोने के बाद अपने पैर की उंगलियों से लिखना सीखा।

बता दें कि तनु पटना के एक  सरकारी स्कूल की स्टूडेंट है। वह क्लास 10वीं में पढ़ती है। वह पढ़ने लिखने में इतनी होशियार है कि वह स्कूल में बाकी बच्चों से पढ़ाई में अव्वल आने लगी। उसका कहना है कि "मुझे नहीं लगता कि मैं अपनी विकलांगता के कारण पीछे रह जाऊंगी। पढ़ाई के अलावा, मुझे खेल और पेंटिंग गतिविधियों में भाग लेना पसंद है। आगे चलकर एक टीचर बनना चाहती हूं।

तनु की मां मां सुहा देवी ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। मुझे पूरा भरोसा है कि वह आगे चलकर कुछ बड़ा करेगी।  उन्होंने बताया कि साल 2014 में, जब तनु छत पर खेल रही थी, इस दौरान उसने गलती से बिजली के तारों को छुआ, जिसके कारण उसने अपने हाथ खो दिए। शुरू में, हमें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन मुझे खुशी है कि उसके पास अपने दैनिक कामों को सीखने की इच्छाशक्ति है। 

बता दें कि तनु के पिता अनिल कुमार पटना के एक गैस एंजेसी में काम करते हैं। वो घर-घर जाकर गैस सिलेंडर की डिलीवरी कर अपने परिवार का खर्चा चलाते हैं। उन्होंने कहा, "मैं एक गरीब आदमी हूं। मुझे कभी-कभी उम्मीद होती है कि सरकार हमारी मदद कर सकती है। पहले तनु एक निजी स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन हमने उसे एक सरकारी स्कूल में एडमिशन करा दिया है। तनु की मां उसे खिलाने, नहाने और कपड़े बदलने में मदद करती है।"उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। उन्होंने कहा, "तनु ने हमें कई बार कहा है कि वह अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती है।"

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