लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पिछले दिनों सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos) के नए वर्जन ब्रह्मोस-एनजी (BrahMos NG) के निर्माण केंद्र का शिलान्यास किया गया। लखनऊ में बना ब्रह्मोस एनजी देश के दुश्मनों के लिए काल साबित होगा। यहां हर साल 80-100 मिसाइल का निर्माण होगा।
लखनऊ में बह्मोस एनजी के पनडुब्बी, युद्धपोत, जमीन और विमान से लॉन्च किए जाने वाले सभी वैरिएंट का निर्माण होगा। ब्रह्मोस एनजी पुराने ब्रह्मोस की तुलना में हल्का और छोटा है, लेकिन मार करने की क्षमता पहले से बढ़ गई है। सुपर सोनिक रफ्तार, छोटा आकार और स्टिल्थ फीचर के चलते इस मिसाइल को अच्छे से अच्छे एयर डिफेंस सिस्टम से भी रोक पाना लगभग मुकमिन नहीं है।
क्यों खास है ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। इसे दुनिया का सबसे बेहतर क्रूज मिसाइल माना जाता है। आवाज से करीब तीन गुना तेज रफ्तार और सटीक वार करने की क्षमता इसे खास बनाती है। पहले इस मिसाइल का एंटी शिप वर्जन बनाया गया था। मिसाइल को जमीन या फिर युद्ध पोत से फायर कर समुद्र में मौजूद युद्धपोतों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था। बाद में इसके जमीन से जमीन पर मार करने वाले और पनडुब्बी से भी दागे जाने वाले वर्जन बनाए गए।
सुखोई से दागा जा सकता है ब्रह्मोस
हवा से जमीन पर मार करने वाला ब्रह्मोस 2019 में जब सर्विस में आया तो यह भारतीय वायु सेना के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। भारत उन खास देशों में शामिल हो गया, जिसके पास हवा से सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल दागने की क्षमता हो। हवा से दागे जाने वाले वैरिएंट के लिए ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2.9 टन से घटाकर 2.5 टन किया गया। लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई को मॉडिफाइ किया गया ताकि वह ब्रह्मोस को लेकर उड़ान भर सके। आज भारतीय वायु सेना में सिर्फ सुखोई विमान ही ऐसे हैं जो इतने भारी मिसाइल को लेकर उड़ सके।
ब्रह्मोस मिसाइल अन्य लड़ाकू विमानों से भी दागे जा सकें इसके लिए जरूरी था कि उसका वजन और आकार कम किया जाए, लेकिन क्षमता कम न हो। इसके लिए ब्रह्मोस के नए वर्जन ब्रह्मोस एनजी विकसित किया गया। नए मिसाइल का वजन 2.9 टन से घटाकर 1.6 टन कर दिया गया है। इसकी लंबाई 8.2 मीटर से घटाकर 6 मीटर कर गई है। इसका रेंज पहले की तरह 290 किलोमीटर है, लेकिन रफ्तार 2.8 मैक (3430km/h) से बढ़ाकर 3.5 मैक (4174) कर दी गई है। ब्रह्मोस मिसाइल के नए वर्जन को हवा, जमीन, समुद्र और पानी के अंदर सभी जगहों से फायर करने लायक बनाया गया है।
200-300kg विस्फोटक ले जाता है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस मिसाइल में दो इंजन लगे हैं। पहला है ठोस इंधन से चलने वाला बूस्टर इंजन। यह पहले स्टेज में काम करता है और मिसाइल को सुपरसोनिक रफ्तार (हवा में आवाज की गति से अधिक स्पीड) तक पहुंचाता है। इसके बाद इसका लिक्विड फ्यूल रैमजेट इंजन काम शुरू करता है। इसे स्टिल्थ फीचर से लैस किया गया है। इसका मतलब है कि दुश्मन के राडार इसे आसानी ने नहीं देख पाते।
एंटी शिप टारगेट के लिए मिसाइल में INS (Inertial Navigation System) लगा है। जमीन पर मौजूद टारगेट तक पहुंचने के लिए मिसाइल को INS और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से लैस किया गया है। इसमें एक्टिव और पैसिव राडार लगे हैं। इनके चलते मिसाइल टारगेट पर अचूक वार करता है। यह मिसाइल अपने साथ 200-300 किलोग्राम विस्फोटक ले जाता है।
ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना में 2016 में शामिल हुआ था। इसकी शुरुआती रेंज 290-300 किलोमीटर है। 500 किलोमीटर और इससे अधिक रेंज वाले ब्रह्मोस को विकसित करने पर काम चल रहा है। इसके साथ ही भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस के हाईपरसोनिक वर्जन पर काम कर रहे हैं। इसकी रफ्तार 5 मैक तक होगी। इसे स्क्रैमजेट इंजन से ताकत मिलेगी। इस मिसाइल को Brahmos-II नाम दिया गया है।