पुलवामा में 5 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने वाले शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल मरणोंपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीद की पत्नी लेफ्टिनेंट नितिका कौल और उनकी मां को दिया।
देहरादून (उत्तराखंड). पुलवामा में 5 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने वाले शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल (major vibhuti shankar dhoundiyals) मरणोंपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( ram nath kovind) ने शहीद की पत्नी लेफ्टिनेंट नितिका कौल और उनकी मां को दिया। सम्मान के दौरान राष्ट्रपति भवन तालियों से गूंज उठा। जहां एक तरफ जवान के परिजनों की आंखें नम थीं तो वहीं सभागार में मौजूद लोग जवान की वीरता को सलाम कर रहे थे। पढ़िए जांबाज अफसर की कहानी..जो शादी के10 माह बाद हो गया शहीद...
दरअसल, 14 फरवरी 2019 को जम्मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ के काफिले पर पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था। इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद आतंकियों को ढेर करने के लिए सेना ने एक ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान 18 फरवरी को मुठभेड़ के दौरान आतंकियों से लोहा लेते वक्त मेजर विभूति ढौंडियाल शहीद हो गए थे। हालांकि उन्होंने शहीद होने से पहले 5 आंतकी को मौत की नींद सुला दिया था।
शहीद मेजर विभूति की पहली बरसी पर उनकी पत्नी निकिता ने भी पति की तरह उनकी राह पर चलने और सेना में जाने का फैसला किया था। जिसके बाद नितिका ने इसी साल आर्मी ज्वाइन किया है। उन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन पास करने के बाद पिछले साल ट्रेनिंग शुरू की थी, जिसके बाद वह सेना में शामिल हो गईं।
बता दें कि नितिका कौल ने पति से प्रेरणा लेकर एक मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने कहा था कि अब वह सेना में जाकर देश सेवा करेंगी और दुश्मनों को मार पति के सपनों को पूरा करूंगी।
मेजर विभूति और निकिता की शादी 18 अप्रैल 2018 को हुई थी। लेकिन दुखद बात यह थी कि शादी से सिर्फ 10 महीने बाद ही मेजर दुनिया को अलविदा कह गए। अभी दोनों ने ठीक से एक-दूसरे को जाना भी नहीं था कि वह हमेशा-हमेशा के लिए बिछड़ गए। वहीं निकिता को यह नहीं पता था कि उनको इतने जल्दी ये दिन देखने पड़ेंगे। मेजर शहीद होने से एक हफ्ते पहले ही अपनी छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर पहुंचे थे।
मेजर विभूती पौड़ी के ढौंडी गांव के रहने वाले थे। उनके पिता स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल के चार बेटे थे। इनमें तीन बेटियां और एक बेटा विभूति था। विभूति के परिवाल वाले बताते हैं कि उनका बचपन से ही सपना था कि वे सेना में जाएं। इसके लिए उन्होंने सातवीं से ही इसकी तैयारी कर दी थी। राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज की परीक्षा में वे पास नहीं हो पाए थे। इसके बाद उन्होंने एनडीए की परीक्षा दी। लेकिन इसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद भी विभूति ने हार नहीं मानी। उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद उनका चयन हुआ। 2012 में उन्होंने सेना में कमीशन पाया।