UPSC 2020 टॉपर : पहले 3 एटेम्पट में प्रीलिम्स भी नहीं निकला, चौथी बार में अब IPS बनेंगी काजल

By Team MyNation  |  First Published Oct 19, 2021, 11:29 PM IST

यूपी के बिजनौर जिले के फतेहपुर कलां निवासी काजल सिंह के संघर्ष की गाथा युवाओं के लिए किसी मोटिवेशन से कम नहीं है। वह लगातार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा देती रहीं। हर अगले अटेम्पट में पिछले अटेम्पट से अधिक मेहनत की। पर लगातार तीन साल तक उनका प्रीलिम्स तक नहीं निकला लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

करियर डेस्क. यूपी के बिजनौर जिले के फतेहपुर कलां निवासी काजल सिंह के संघर्ष की गाथा युवाओं के लिए किसी मोटिवेशन से कम नहीं है। वह लगातार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा देती रहीं। हर अगले अटेम्पट में पिछले अटेम्पट से अधिक मेहनत की। पर लगातार तीन साल तक उनका प्रीलिम्स तक नहीं निकला लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका कहना है कि यदि आपके सामने लक्ष्य बड़ा है। उस दिशा में लगातार कोशिश कर रहे हैं तो एक दिन सफलता जरुर मिलेगी। ठीक ऐसा ही हुआ। यूपीएससी परीक्षा के चौथे प्रयास में उन्हें सफलता मिली। उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) कैडर मिलने की उम्मीद है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने 202वीं रैंक हासिल करने वाली काजल से बातचीत की। आइए जानते हैं काजल की सक्सेज जर्नी।

किसान पिता ने बेटी को बेटा समझकर पढ़ाया
काजल की शुरुआती पढ़ाई सेंट मैरी स्कूल बिजनौर से हुई। इसके बाद वह वनस्थली राजस्थान चली गई और वहां से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की। 12वीं की पढ़ाई उन्होंने कोटा से की। उनके पिता देवेंद्र सिंह किसान हैं और ईंट-भट्ठे का भी काम करते हैं। मां कुसुम देवी गृहिणी हैं। उनकी छोटी बहन अदिति सिंह ग्रेजुएशन कर रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि देवेंद्र सिंह के कोई बेटा नहीं था तो उन्होंने अपनी बेटी को ही बेटा समझकर पढ़ाया और आगे बढ़ाया और बेटी ने भी बेटे की कमी नहीं खलने दी। उनका नाम जिले में रोशन कर दिया। काजल की हाबीज स्केचिंग करना, डायरी लिखना और क्लासिकल डांस है।

2019 परीक्षा में मिली थी 13वीं रैंक
आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद काजल ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरु की। कुछ दिन कोचिंग की, उसके बाद सेल्फ स्टडी की। यूपीएससी की वर्ष 2017, 2018 और 2019 की परीक्षा में वह शामिल हुईं लेकिन उनके इन तीनों अटेम्प्ट में प्रीलिम्स के नतीजे भी उनके पक्ष में नहीं आए। यूपीएससी 2020 के चौथे प्रयास में उन्हें 202वीं रैंक मिली। उनका कहना है कि यह पूरी तैयारी बहुत ही उतार-चढ़ाव से भरी होती है। मेहनत के साथ लक भी फैक्टर होता है। इतना ही नहीं उन्होंने वर्ष 2019 में इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (आइइएस) की परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की थी। वर्ष 2020 में यूपीपीसीएस परीक्षा में भी उन्हें सफलता मिली। उनकी 46वीं रैंक आयी थी और उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद मिला था। पर उसके बजाए उन्होंने इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस को ही बेहतर समझा। वर्तमान में वह प्रशिक्षणरत हैं।

सिविल सर्विस में आने के लिए ये बना मोटिवेशन
काजल कहती हैं कि बचपन से मजाक में मेरे दादा स्वर्गीय गंभीर सिंह कहा करते थे कि मेरी बेटी एसडीएम—डीएम बनेगी। दिमाग में इन चीजों ने जगह बना ली थी। कॉलेज के बाद जब यह जानने का मौका मिला कि सिविल सर्विस ऐसा प्लेटफार्म है, जहां से आप सोसाइटी में बड़ा चेंज ला सकते हो। यही उनका सिविल सर्विस के लिए तैयारी का मोटिवेशन बना। उनका कहना है कि प्रशासनिक सेवा में काम का प्रभाव सीधे दिखता है।

सोशल मीडिया का करें सकारात्मक इस्तेमाल
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले पर निर्भर करता है कि वह इसका क्या इस्तेमाल कर रहा है। आजकल परीक्षा की तैयारियां ऑनलाइन माध्यम पर निर्भर हैं। सोशल मीडिया के जरिए ही ज्यादातर सूचनाएं प्राप्त होती हैं। यह जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। ऐसा नहीं कि इसे बिल्कुल नजरअंदाज कर दें, या फिर स्वयं को बिल्कुल आइसोलेट कर दें, बल्कि सोशल मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल करें। कोशिश होनी चाहिए कि यह हमारी तैयारी में सहायता करें ना कि भटकाव लाए। यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह इसका क्या इस्तेमाल करता है। 

सफलता में परिवारजनों व दोस्तों का अहम योगदान
काजल के परिवारजनों ने उनकी तैयारी में भरपूर सहयोग किया। जब वर्ष 2017 में उनके ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी हो गयी थी। तब उनके परिजनों की तरफ से उन पर नौकरी ज्वाइन करने या अन्य किसी चीज का दबाव नहीं रहा। उन्होंने काजल को परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया। काजल अपनी सफलता में अपने साथ परीक्षा की तैयारी में लगे दोस्तों के योगदान को भी अहम बताती हैं। उनका कहना है कि जब हम तैयारी कर रहे होते हैं तो अपने साथ तैयारी कर रहे मित्रों से सीख रहे होते हैं। हर दिन तैयारी के समय जो भी दिक्कतें आती हैं। आप उन्हीं की मदद लेते हैं और वह आपकी परेशानी भी समझ रहे होते हैं।

युवाओं को दिया यह संदेश
काजल कहती हैं कि पहले तो हमारी आकांक्षा बहुत ज्यादा बड़ी होनी चाहिए। अगर हम कुछ बड़ा करने की सोचेंगे और कुछ बड़ा करने की ठानेंगे। तभी हम उसकी तरफ जाने वाली राह पर आगे बढ़ने की कोशिश करते रहेंगे तो अंत में सफलता जरूर मिलेगी। दूसरा, जो भी हम करना चाहते हैं, उसकी तरफ हमारा पूरा समर्पण होना चाहिए। किसी के लिए यह रास्ता आसान नहीं होता। बस सबके लिए कठिनाइयां अलग-अलग तरह की होती है। सबके सामने कुछ न कुछ कठिनाइयां आती है। बस उन कठिनाइयों को हराते हुए आगे बढ़ना होगा। तीसरी बात यह है कि आपको खुद को हमेशा सेल्फ मोटिवेटेड रखना चाहिए। आपकी राह में जो भी असफलता आती है। उसे सीखने के अवसर की तरह लेना चाहिए और उससे सीख कर आगे बढ़ना चाहिए। यूपीएससी परीक्षा में यह और महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह परीक्षा अनिश्चितताओं से भरी होती है। जो भी अभ्यर्थी गंभीरता के साथ इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। यह जरुरी नहीं कि सबका रिजल्ट सकारात्मक आए। बस लगे रहना है कभी न कभी रिजल्ट सकारात्मक आएगा।

निराशा से उबरकर ही बेहतर परफार्मेंस
यूपीएससी की परीक्षा में काजल तीन प्रयास में असफल रहीं तो जब भी उनका रिजल्ट नकारात्मक आता था तो उन्हें निराशा होती थी। उन्होंने हर बार परीक्षा में कड़ी मेहनत की। हर अगले प्रयास में पिछले प्रयास से ज्यादा मेहनत की। काजल कहती हैं कि जब सामने एक बड़ा लक्ष्य होता है तो उसे प्राप्त करने के लिए मुश्किलों को हराना ही पड़ता है। खुद को मोटिवेट करना पड़ता है कि इस बार नहीं तो अगली बार जरुर सफलता मिलेगी और उसी उम्मीद में और ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। निराशा से उबरना बहुत ज्यादा जरूरी होता है तभी हम अगली बार बेहतर परफार्मेंस कर सकते हैं। लक्ष्य ध्यान में रखना है। उनका कहना है कि सबके लिए यह जर्नी अलग होती है। सबके सामने दिक्कतें अलग अलग तरह की आती हैं। उनके लिए प्रारम्भिक परीक्षा ही थी, जिसका नतीजा हर बार अटक जाता था।  

जिस परिवेश से आती हैं, वहां पढ़ाई का नहीं था माहौल
काजल जिस परिवेश से आती हैं। वहां पढ़ाई का बहुत ज्यादा माहौल नहीं था। उस लिहाज से उन्हें यही लगता था कि यदि कुछ करना है तो खुद से संघर्ष करना होगा। परिवार की तरफ से पूरा सपोर्ट था लेकिन आगे बढ़ने के लिए राह कौन दिखाए। शुरुआती दिनों से ही यह गाइडेंस मिसिंग था। उनका कहना है कि यदि किसी बच्चे के पास पहले से ये गाइडेंस है तो उसके लिए तैयारी करना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।

चयन के लिए होते हैं बोर्ड मेम्बर
काजल पहले भी आइइएस व यूपीपीसीएस परीक्षा का इंटरव्यू दे चुकी थी। तैयारी के समय कई मॉक इंटरव्यू भी दे चुकी थी। इसलिए वह थोड़ी सहज थी। उनका कहना है कि इंटरव्यू के समय यह ध्यान रखना होता है कि आप वहां जिन बोर्ड सदस्यों के सामने जाने वाले हैं। वह आपको चयनित करने के लिए ही बैठे हैं। यदि आप डरे हैं तो बोर्ड के समक्ष अपना बेहतर नहीं दे पाएंगे। वह आपकी पर्सनालिटी के बारे में ही जानना चाहते हैं। डरे हुए व्यक्ति की पर्सनालिटी कभी अच्छे से बाहर नहीं आ पाएगी। उन्होंने इसी तरीके से खुद को समझाया और आत्मविश्वास के साथ परफॉर्म किया।

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