एक-दो नहीं बल्कि कुल 15 प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता मिली। यह सिलसिला वर्षों तक चलता रहा। पर राजस्थान के नागौर के मिन्डी गांव के रहने वाले श्योपालराम ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने मकसद को हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। आखिरकार 10 वर्षों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद 16वीं प्रतियोगी परीक्षा में लक्ष्य हासिल हुआ।
नागौर। एक-दो नहीं बल्कि कुल 15 प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता मिली। यह सिलसिला वर्षों तक चलता रहा। पर राजस्थान के नागौर के मिन्डी गांव के रहने वाले श्योपालराम ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने मकसद को हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। आखिरकार 10 वर्षों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद 16वीं प्रतियोगी परीक्षा में लक्ष्य हासिल हुआ। कृषि अनुसंधान अधिकारी की कुर्सी हासिल हुई।
सरकारी स्कूल में शुरुआती शिक्षा
दरअसल, श्योपालराज जाट की शुरुआती शिक्षा सरकारी विद्यालय में ही हुई। कक्षा एक से लेकर 12 तक उन्हें तीन स्कूल बदलने पड़ें। देधिया के राजकीय विद्यालय में कक्षा एक से 5 तक की पढ़ाई की। GSS Govt. विद्यालय मिंडा में 6 से 10वीं तक की पढ़ाई की और 12वीं की शिक्षा एग्रीकल्चर विषय से जोबनेर से हासिल की। श्योरपाल ने साल 2003 में जेट की परीक्षा भी पास की और साल 2007 में बीकानेर से एग्रीकल्चर विषय से ग्रेजुएशन किया। गुजरात के SDAU महाविद्यालय से साल 2009 में MSC पास की।
सरकारी असफर बनने से पहले करते रहे काम
श्योरपाल ने MSC करने के बाद करीब एक साल तक गुजरात में ही एक प्रोजेक्ट में काम किया। वह काम के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी जुटे रहें। काम के बीच में भी अपनी पढ़ाई के लिए समय निकाल लेते थे। साल 2012 से 2015 तक काजरी जोधपुर में वर्क करते रहे और फिर साल 2015 में अटारी में काम शुरु किया। यह श्योरपाल का जज्बा ही था कि उन्होंने काम के साथ अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दिया।
काम के साथ पढ़ाई पर भी देते रहें ध्यान
श्योरपाल पढ़ाई के लिए डेली औसतन 6 घंटे निकालते थे। पढ़ाई के दौरान ही साल 2007 में उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरु कर दी थी। कृषि के क्षेत्र में मिलने वाली सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया। सहायक कृषि अधिकारी, कृषि अधिकारी समेत अन्य पदों पर भर्ती के लिए समय समय पर प्रयास करते रहें। लगातार परीक्षा देते रहें। संयोग से उन्हें लगातार 15 परीक्षाओं में असफलता मिली। पर उन्होंने हार नहीं मानी और अपना सपना पूरा करने में लगे रहें। दस साल के कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार उनका चयन कृषि अनुसंधान अधिकारी के पद पर हुआ। साल 2017 में सरकारी अफसर बनने के पहले वह लगातार काम करते रहें और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।