मुजफ्फरनगर में एक मात्र ऐसा पार्लर, जहां श्रृंगार के लिए आते हैं भगवान

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Aug 25, 2023, 12:50 PM IST

अब तक आपने महिलाओं को ब्यूटी पार्लर जाते देखा होगा। जेंट्स पार्लर भी देखा होगा। पर क्या आपको पता है कि भगवान के भी पार्लर होते हैं। आपको सुनकर हैरानी होगी। पर यह सच है, ऐसा पार्लर मुजफ्फरनगर में है। जहां भगवान का श्रृंगार होता है।

मुज़फ्फरनगर। अब तक आपने महिलाओं को ब्यूटी पार्लर जाते देखा होगा। जेंट्स पार्लर भी देखा होगा। पर क्या आपको पता है कि भगवान के भी पार्लर होते हैं। आपको सुनकर हैरानी होगी। पर यह सच है, ऐसा पार्लर मुजफ्फरनगर में है। जहां भगवान का श्रृंगार होता है। विभिन्न जगहों से भगवान जी उस पार्लर में पहुंचते हैं और वहां मौजूद महिलाएं उनका श्रृंगार करती हैं।

मुजफ्फरनगर की गांधी कॉलोनी में है भगवान का पार्लर

भगवान जी का श्रृंगार करने वाला अनोखा पार्लर मुजफ्फरनगर के गांधी कॉलोनी में है। श्रीश्री गोलोक धाम के पास यह पार्लर कई वर्षों से संचालित है। पार्लर में दूर दूर से आए सभी भगवानों का श्रृंगार किया जाता है, उन्हें सजाया जाता है। जानकारी के अनुसार, यह पार्लर करीबन 7 वर्षों से चल रहा है। शेफाली वर्मा इसे चलाती हैं।

कई राज्यों से सजाने के लिए आती हैं मूर्तियां

पार्लर में सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब से भी लड्डू गोपाल और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां आती हैं और यहां उनको सजाया जाता हैंं। मूर्तियों के श्रृंगार में दो दिन तक का समय लग जाता है। इस पार्लर में शिफ्ट में काम होता है। तीन शिफ्ट में मूर्तियों को सजाया जाता है।

लड्डू गोपाल पार्लर सोशल मीडिया पर वायरल

लड्डू गोपाल के पार्लर में लिखा है कि यदि आप हमारे काम से संतुष्ट हैं तो मुस्कुरा कर लड्डू गोपाल के कानों में ताली बजाइए और राधे राधे बोलिए। पार्लर में बाकायदा यह भी लिखा है कि खुद को भगवान से जोड़ दो, खुद को भगवान पर छोड़ दो। इस अनोखे पार्लर की खबर सोशल मीडिया पर खूब पंसद की जा रही है। भगवान के पार्लर के बारे में सुनकर लोग सरप्राइज हो रहे हैं।

सेवा के लिए चलाती हैं पार्लर

शेफाली को भगवान का पार्लर चलाने की प्रेरणा भी लड्डू गोपाल (Krishna) से ही मिली। तभी शेफाली ने पार्लर खोला। आपको बता दें कि यह पार्लर सेवा भाव के लिए खोला गया है। शेफाली मूर्तियों का पूरे मनोयोग से श्रृंगार करती हैं। पहले उन्होंने फ्री में भगवान को सजाने का काम शुरु किया था। बाकी जो भी श्रद्धा से कुछ देना चाहता है तो वह स्वीकार लेती हैं। उन्होंने सेवा का कोई मूल्य नहीं रखा है।  

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