ये हैं UP की बहादुर लेडी कांस्टेबल रिंकी सिंह, जिनकी जिंदादिली को CM से लेकर राज्यपाल कर रहे सैल्यूट

By Team MyNation  |  First Published Aug 27, 2021, 4:34 PM IST

उत्तर प्रदेश के फिरोजााद जिले में एक महिला कांस्टेबल ने ऐसा सराहनीय काम किया है कि उनको हर कोई सलाम कर रहा है। इतना ही नहीं उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गवर्नर आनंदी बेन पटेल और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने तक सम्मानित करके सैल्यूट किया है। आइए जानते हैं इस लेडी सिपाही की बहादुरी की कहानी...

फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश). आए दिन पुलिस की छवि बिगड़ने वाली खबरें सामने आती रहती हैं। जो खाकी वर्दी को दागदार करती हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के फिरोजााद जिले में एक महिला कांस्टेबल ने ऐसा सराहनीय काम किया है कि उनको हर कोई सलाम कर रहा है। इतना ही नहीं उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गवर्नर आनंदी बेन पटेल और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने तक सम्मानित करके सैल्यूट किया है। आइए जानते हैं इस लेडी सिपाही की बहादुरी की कहानी...

दरअसल, जिन महिला सिपाही की चारों तरफ चर्चा हो रही है, वह 30 वर्षीय रिंकी सिंह हैं। जो फिरोजबाद में एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट में बतौर सिपाही अपनी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने बाल श्रमिकों को मुक्त कराने और उनके बचपन को बचाने के लिए अभियान छेड़ रखा है।

सिपाही रिंकी सिंह अपनी टीम के साथ जगह-जगह छापेमारी करती हैं और बच्चों को बाल मजदूरी करने से आजाद करा रही हैं। वह खासकर ऐसी जगहों पर दबिश देती हैं जहां पर छोटे बच्चों से काम कराया जाता है। ढाबों, होटलो और  गैराज में जाकर बच्चों को आजाद कराती हैं।

बता दें कि रिंकी सिंह पिछले साल 2020 में 153 बाल श्रमिकों को आजाद करा चुकी हैं। वहीं 90 ऐसे बच्चों को अच्छी जिंदगी दी है, जो मंदिर-मस्जिद या बाजारों  से लेकर चौराहों पर भीख मांगा करते थे। इन सभी को उन्होंने  चाइल्ड लेबर अभियान के तहत मुक्त कराया है। इस तरह रिंकी सिंह की टीम अब तक करीब 300 से ज्यादा बच्चों को मुक्त करा चुकी है।

रिंकी ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान कहा कि उनकी टीम में टोटल सात पुलिसकर्मी हैं। जिस में दो महिलाएं 5 परुष शामिल हैं। वह सुबह-सबुह अपनी गाड़ी के साथ ऐसी जगहों पर निकल जाते हैं, जहां पर बच्चों से या मजदूरी कराई जा रही हो या फिर वह भीख मांगने के लिए मजबूर हो।

 

रिंकी सिंह की टीम इन बच्चों को मजदूरी से आजाद कराकार उन्हें किसी अच्छी सामाजिक संस्था में रखती है। जिन्हें सरकार के जरिए चलाई जा रहीं योजाना का लाभ दिलाकर मुफ्त शिक्षा से लेकर मासिक भत्ता दिलाती हैं। ताकि वह आगे आसानी से पढ़ सकें और फिर से मजदूरी करने के लिए बेबस ना हो।

click me!