एक महिला के संघर्ष ने दिया महिला दिवस, जानें आखिर कैसे हुई इसकी शुरुआत

By Neha Dogra  |  First Published Mar 8, 2019, 10:42 AM IST

क्या आपको पता है कि महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? और इसके पीछे क्या इतिहास है? इस दिवस को सबसे पहले कौन से देश में मनाया गया था? आइए हम अब आपके इन सभी सवालों का जवाब अपनी इस रिपोर्ट में दे रहे हैं। 

आज के दिन यानी हर साल 8 मार्च को पूरी दुनिया के हर क्षेत्र में महिला दिवस मनाया जाता है। हालांकि महिलाओं के प्रति सम्मान जताने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं है,  लेकिन इस दिन को महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार को एक विशेष तौर पर प्रकट किया जाता है। महिलाओं के साथ पुरुष भी इस दिन को महिलाओं के सम्मान में समर्पित करते है।

लेकिन क्या आपको पता है कि महिला दिवस क्यों मनाया जाता है? और इसके पीछे क्या इतिहास है? इस दिवस को सबसे पहले कौन से देश में मनाया गया था? आइए हम अब आपके इन सभी सवालों का जवाब अपनी इस रिपोर्ट में दे रहे हैं।

इतिहास के अनुसार लीसिसट्राटा नाम की एक महिला थी, जो कि प्राचीन ग्रीस की रहने वाली थी, इस महिला ने देश की महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए आम महिलाओं के साथ मिलकर एक लड़ाई शुरू की थी।

अपने शुरू किए गए इस लड़ाई को समाप्त करने के लिए इस महिला ने फ्रेंच क्रांति से युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए इस आंदोलन की शुरूआत की थी, फारसी महिलाओं के एक समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला, इस मोर्चे का उद्देश्य युद्ध की वजह से महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार को रोकना था। जब यह आंदोलन खत्म हुआ तो महिलाओं के अधिकारों पर विचार किया गया।

29 फरवरी 1909 को अमेरिका में एक सोशलिस्ट पार्टी के द्वारा महिला दिवस सबसे पहले मनाया गया। सन् 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा कोपनहेगन (Copenhagen) में महिला दिवस की स्थापना हुई और 1911 में ऑस्ट्रि‍या, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में लाखों महिलाओं द्वारा एक रैली निकाली गई। इस रैली को निकालने के पीछे वजह यह थी कि महिलाओं को मताधिकार दिया जाए, सरकारी कार्यकारिणी में जगह दी जाए और नौकरी में भेदभाव को खत्म कर दिया जाए।

सन् 1913-14 में जब प्रथम विश्व युद्ध लड़ा गया तो, रूसी महिलाओं पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस मनाया गया।

1917 तक विश्व युद्ध में रूस के 2 लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए, यह सब देखते हुए रूसी महिलाओं ने रोटी और शांति के लिए हड़ताल की।

लेकिन महिलाओं की इस हड़ताल के खिलाफ राजनेता थे, फिर भी महिलाओं ने किसी की एक न सुनी और अपना आंदोलन जारी रखा और महिलाओं के इस आंदोलन के बाद रूस के राजा को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी और इसी के साथ सरकार को महिलाओं को वोट देने के अधिकार की घोषणा भी करनी पड़ी। बता दें जिस दिन रूस में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला था वो तारीख  8 मार्च ही थी, इसी लिए 8 मार्च को ‘महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।  

यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए थे।  
 

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