9 अगस्त को मनाई जायेगी नागपंचमी 2024 (Nag Panchami 2024 Kab hai)
नाग पंचमी का हिंदू धर्म में खास महत्व है। सावन के महीने में नागराज का ये पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार नागपंचमी (Nag Panchami 2024) 9 अगस्त को है। इस दिनों नाग देवता को दूध चढ़ाकर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं कई कई लोग शिव मंदिर भी जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसे में अगर आप भी नागपंचमी में शिव मंदिर जाने की सोच रहे हैं तो हिमालचल प्रदेश स्थित चूढ़धार शिव मंदिर ( Churdhar Temple Himachal Pradesh) घूम सकते हैं।
1) नागपंचमी पर करें चूढ़धार शिव मंदिर के दर्शन
चूढ़दार शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। ये मंदिर हिमाचर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जहां जाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। वहीं मंदिर राज्य की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है जो समुद्र तल से लगभग 3647 मीटर ऊपर है। यहां पर बाधाओं को पारकर महादेव के दर्शन करने ज्यादातर शिवभक्त और एडवेंचर्स लवर ही आते हैं। पहाड़ों-बर्फ के बीच बना ये शिव मंदिर प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करता है।
2) कैसे पहुंचे हिमाचल स्थित चूढ़धार शिव मंदिर
हिमाचल के सिरमौर जिले में स्थित चूड़धार मंदिर पहुंचने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। यहां का निकटतम शहर नहान है। जहां से नौराधार गांव के लिए सीधे टैक्सी मिलती है। यहीं से मंदिर के लिए कई बसे भी जाती है। ये नहान से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
3) दर्शन के लिए करनी पड़ेगी ट्रेकिंग
बस केवल नौराधार गांव तक आती है। यहां से यात्रियों को ट्रेकिंग करनी पड़ती है जो लगभघ 16 किलोमीटर की होती है। ये रास्ता घने जंगलों, हरे-भरे मैदान और पहाड़ की खड़ी चढ़ाई से होकर गुजरता है। जो कठिन होने के साथ एडवेंचर्स भी होती है,हालांकि आसपास स्थित बर्फ से ढकी पहाड़ियां और मनोरम दृश्य के आगे ये दूरी भी छोटी लगती है। बताया जाता है, मंदिर तक पहुंचने के लिए 2 दिन लग जाते हैं। वहीं यहां पर कई जगह कैंपिंग और नाइट स्टे का ऑप्शन भी मिलता है।
4) कितनी दिन में पूरी हो जाएगी यात्रा
चूड़धार मंदिर के दर्शन करने के लिए कम से कम 3-4 चाहिए। जहां दो दिन तो केवल ट्रेकिंग में निकल जाते हैं। ट्रेकर्स आमतौर पर नौराधार से सुबह जल्दी निकलते हैं और पहले दिन दोपहर तक कैंपिंग स्पॉट या शिखर पर पहुँच जाते हैं। जहां नाइट स्टे करने के बाद वह मंदिर दर्शन करते हैं और फिर दूसरे दिन नौराधार लौटते हैं और अपनी यात्रा पूरी करते हैं।
5) चूड़धार मंदिर की मान्यता
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इसी जगह पर भगवान शिव ने कई सालों तक ध्यान लगाया था। यहां पर भगवान शिव का छोटा से मंदिर स्थित है। जहां भगवान शिव की मूर्ति स्थित है। ये मंदिर चारों ओर से हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों से ढका हुऐ है। यहां पर आध्यात्मिक अनुभव करने और बिजी लाइफ से दूर वक्त बिताने सैकड़ों सैलानी आते हैं। वहीं हर साल यहां पर चूड़धार यात्रा का आयोजन भी किया जाता है। जहां आसपास स्थित गांव के लोग शिव जी पालकी लेकर गांवो और पहाड़ों पर भ्रमण करते हैं।
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