अगर आपने गणपति के पूजन में कर दी यह गलती तो पूजा रह जाएगी अधूरी

First Published Sep 2, 2019, 1:39 PM IST

गणपति उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही पूरे देश में दस दिनों के लिए उत्साह का माहौल शुरु हो गया है। गणपति स्वयं महादेव और आदिशक्ति जगदंबा के पुत्र हैं। जिन्हें प्रसन्न किए बिना शिव-शिवा तक नहीं पहुंचा जा सकता। यानी गणपति प्रसन्न तो पूरी सृष्टि खुश। 
लेकिन गणपति की पूजा का एक विशेष विधान है। जिसे सभी लोग नहीं जानते हैं। यह है अंग पूजन। गणपति की अभ्यर्थना में उनके अंगों का पूजन अति आवश्यक है। अगर यह क्रिया संपन्न नहीं की गई तो गणपति पूजा अधूरी मानी जाती है। हर अंग के लिए अलग मंत्र हैं। जिनका उच्चारण करते हुए गणपति के हर अंग को धूप दीप दिखाया जाता है। अगर आप भी गणपति के उपासक हैं तो जान लीजिए यह विशेष अंग पूजन मंत्र
 

ऊँ गणेश्वराय नम: पादौ पूज्यामि। (चरणों का पूजन)
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ऊँ विघ्नराजाय नम: जानुनि पूज्यामि। (घुटनों का पूजन)
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ऊँ आखूवाहनाय नम उरू पूज्यामि। (जांघों का पूजन)
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ऊँ हेराम्बाय नम: कटि पूजयामि। (कमर का पूजन)
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ऊँ कामरीसूनवे नम: नाभिं पूज्यामि। (नाभि का पूजन)
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ऊँ लंबोदराय नम: उदरं पूज्यामि।(पेट का पूजन)
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ऊँ गौरीसुताय नम: स्तनौ पूज्यामि।(स्तनों का पूजन)
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ऊँ गणनाथाय नम: हृदयं पूज्यामि। (हृदय का पूजन)
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ऊँ स्थूलकंठाय नम: कंठं पूज्यामि। (गले का पूजन)
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ऊँ पाश हस्ताय नम: स्कन्धौ पूज्यामि। (कंधे का पूजन)
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ऊँ गजवक्त्राय नम: हस्तान् पूज्यामि। (हाथों का पूजन)
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ऊँ स्कंदाग्रजाय नम: वक्त्रं पूज्यामि। (गर्दन का पूजन)
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ऊँ विग्नरादाय नम: ललाटं पूज्यामि। (माथे का पूजन)
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ऊँ सर्वेश्वराय नम: शिर: पूज्यामि। (शीश का पूजन)
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ऊँ गणाधिपत्यै नम: सर्वांगे पूज्यामि।(इस मंत्र के साथ आखिर में सभी अंगों पर धूप और दीप दिखाएं)
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