सैटेलाइट से कटेगा टोल: जानें भारत में लागू होने जा रहे GNSS टोल सिस्टम की 5 बड़ी बातें

First Published | Jul 27, 2024, 11:56 AM IST

Satellite Toll System: भारत में टोल टैक्स के लिए अब सैटेलाइट आधारित GNSS टोल सिस्टम लागू होने जा रहा है, जिससे टोल प्लाजा की जरूरत खत्म हो सकती है। जानें कैसे यह नई तकनीक टोल वसूली को बदल देगी।

मैनुअली टोल भरने से मिलेगी मुक्ति, नहीं लगानी पड़ेगी लाइन

Satellite Toll System: अगर कोई व्यक्ति अपने वाहन से भारत में कहीं भी जाता है और वह एक राज्य से दूसरे राज्य जाता है तो उसे टोल टैक्स देना पड़ता है। टोल टैक्स के लिए भारत में टोल प्लाजा बनाए गए हैं। जहां वाहनों को टोल टैक्स देना पड़ता है। एक समय था, जब लोगों को टोल टैक्स के लिए वाहनों की लाइन में खड़े होकर पर्ची कटवानी पड़ती थी और टोल का भुगतान मैनुअली करना पड़ता था, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। फास्टैग से कुछ आसानी आई थी लेकिन उसमें भी जाम की स्थिति बनती रहती है। 

टोल प्लाजा बंद करने की है तैयारी

देश में टोल टैक्स के लिए अब फास्टैग का इस्तेमाल किया जाता है। अब इसके लिए लाइनों में खड़े होने की जरूरत नहीं है। अब टोल प्लाजा पर लगा स्कैनर आपके वाहनों पर लगे फास्टैग को स्कैन कर लेता है और आपका टोल कट जाता है लेकिन अब खबर आ रही है कि टोल प्लाजा बंद हो सकते हैं क्योंकि अब सैटेलाइट से टोल काटने की तकनीक आ रही है। इसके बारे में पांच बड़ी बातें क्या हैं, आइए आपको बताते हैं। GNSS आधारित टोल सिस्टम लागू होने जा रहा है।

क्या है GNSS टोल टैक्स सिस्टम?

भारत में टोल टैक्स चुकाने के तरीके में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। भारत सरकार सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम शुरू करने की तैयारी कर रही है। इस सैटेलाइट आधारित सिस्टम को GNSS टोल इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम कहा जाता है। भारत सरकार के केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में राज्यसभा में इस बारे में बयान भी दिया है। उन्होंने बताया कि भारत में कुछ चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर GNSS आधारित टोल सिस्टम लगाने की योजना है।

सैटेलाइट से कैसे कटेगा टोल?

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम लागू होने से सभी वाहनों को अलग-अलग बैंकों से फास्टैग लेने की जरूरत नहीं होगी। न ही रिचार्ज का झंझट होगा। नया सिस्टम सीधे सैटेलाइट से जुड़ा होगा। इसके लिए अलग जगह पर टोल बूथ बनाया जा सकता है। जहां से हाईवे पर गुजरने वाले सभी वाहनों का डेटा कलेक्ट किया जाएगा। वाहन द्वारा तय की गई दूरी के हिसाब से टोल लिया जाएगा। इससे ये भी तय होगा कि हाईवे पर जो जितना सफर करेगा, मात्र उतना ही उसे टोल देना पड़ेगा। 

क्या टोल प्लाजा खत्म हो जाएंगे?

अगर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम पूरे भारत में लागू हो जाता है, तो भारत में फिजिकल टोल प्लाजा की जरूरत नहीं रह जाएगी। क्योंकि टोल वसूली के लिए वाहनों को रोकने की जरूरत नहीं होगी। जब वाहनों की तलाशी लेने की जरूरत नहीं होगी, तो टोल प्लाजा की भी जरूरत नहीं होगी। यानी भविष्य में टोल प्लाजा को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में फिजिकल टोल टैक्स सिस्टम और फास्टैग सिस्टम दोनों विधा पूर्व की भांति सेटेलाईट सिस्टम के साथ चलती रहेगी। 

आपको बता दें कि भारत सरकार फिलहाल GNSS ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को चुनिंदा जगहों पर ही लागू करने जा रही है। यह फिलहाल भारत में हाइब्रिड मॉडल पर काम करेगा। यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम से टोल कटेगा और फास्टैग के जरिए टोल कटता रहेगा। जब तक सेटेलाइट सिस्टम पूरी तरह से पूरे देश में एकसाथ काम नहीं करने लगता, तब तक फास्टैग व्यवस्था चलती रहेगी। विशेषज्ञों की राय है कि सेटेलाइट सिस्टम को पूरी तरह से लागू करने में अभी काफी वक्त लगेगा। 

...तो फास्टैग बंद नहीं होगा

क्योंकि ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को भारत में पूरी तरह से लागू करने के लिए अभी तक कोई प्लानिंग नहीं की गई है। भारत में करीब 599 नेशनल हाईवे हैं। तो ऐसे में यह कहना पूरी तरह से सही नहीं है कि टोल प्लाजा पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। सरकार फिलहाल इनमें से कुछ हाईवे पर ही GNSS टोल सिस्टम लागू करने के बारे में सोच रही है। यानी बाकी हाईवे पर पूर्व की तरह फास्टैग के जरिए टोल कटता रहेगा।

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