कई बार हम अपनी ही आदतों से मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। जानें 5 संकेत जो बताते हैं कि आप खुद के लिए टॉक्सिक बन रहे हैं।
Self Toxicity: कई बार हम खुद भी अपनी मेंटल हेल्थ को निगेटिव रूप से प्रभावित करते हैं। इसे "सेल्फ टॉक्सिटी" कहा जाता है, मतलब हम अपने ही नकारात्मक बिहैवियर से अपने मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं। अगर आप इन 5 संकेतों को अपने बिहैवियर में पाते हैं, तो यह अलर्ट होने और खुद में बदलाव लाने का समय है।
1. खुद के बारे में निगेटिव बातें करना
अक्सर लोग अपनी गलतियों या कमजोरियों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देते हैं। बार-बार खुद के बारे में निगेटिव बातें सोचना, खुद को दूसरों से कमतर मानना और अपनी गलतियों को बढ़ा-चढ़ा कर देखना मानसिक सेहत के लिए खतरनाक है। जब आप खुद को हर समय नकारात्मक की रोशनी में देखते हैं, तो आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास कम होने लगता है। इससे बचने के लिए अपनी सोच को सकारात्मक बनाने की कोशिश करनी चाहिए। खुद की सराहना करें, यह आपकी मेंटल हेल्थ को सुधारने का काम करेगी।
2. दूसरों की प्रॉयरिटी को अपनी प्राथमिकता बनाना
हमेशा दूसरों की जरूरतों को अपनी आवश्यकताओं से ऊपर रखना भी एक प्रकार की सेल्फ टॉक्सिटी है। ऐसे लोग खुद के लिए कभी समय नहीं निकालते और अपने हितों को नजरअंदाज करते रहते हैं। इस प्रकार की सोच के चलते व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो सकता है। आपको अपनी जरूरतों, इच्छाओं, और भावनाओं का सम्मान करें। हर दिन कुछ समय अपने शौक, आराम, या खुद के लिए निकालें। यह आपकी मेंटल हेल्थ को मजबूत बनाएगा।
3. तारीफ या प्रशंसा अस्वीकार करना
कई बार लोग अपनी तारीफ सुनकर असहज महसूस करते हैं और इसे तुरंत अस्वीकार कर देते हैं। यह आदत धीरे-धीरे आत्म-सम्मान को कम करती है, और व्यक्ति अपने आपको कम आंकने लगता है। तारीफ को अस्वीकार करना भी मानसिकता में नेगेटिविटी भरता है, जिससे मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। दरअसल, जब कोई आपकी तारीफ करे तो उसे मुस्कान के साथ स्वीकार करना चाहिए।
4. अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को दोष देना
जब हम अपने जीवन की हर समस्या के लिए दूसरों को दोष देने लगते हैं, तो हम अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे होते हैं। यह आदत न केवल मानसिक विकास को रोकती है, बल्कि हमें एक ऐसी मानसिकता में फंसा देती है, जहां हम खुद को सुधारने का प्रयास नहीं करते, जबकि अपनी गलतियों को समझकर और उनसे सीखकर आप अपने अंदर सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
5. समय की बर्बादी करना
सोशल मीडिया पर घंटों बिताना, बिना किसी उद्देश्य के इंटरनेट पर बार-बार अनावश्यक गतिविधियों में समय गंवाना मानसिक थकान और असंतुष्टि बढ़ा सकता है। यह आदत हमारी प्रोडक्टिविटी खत्म करती है और हमें मानसिक रूप से कमजोर बनाती है।