क्या आप जीरो कैलोरी शुगर लेते हैं? सावधान! ब्‍लड क्‍लाॅटिंग-हार्ट अटैक का रिस्‍क

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Aug 23, 2024, 1:28 PM IST

Artificial Sweeteners and Heart Disease: जीरो कैलोरी शुगर जैसे एरिथ्रिटोल का सेहत पर बुरा असर होता है। हालिया रिसर्च के अनुसार, इसका खून में बढ़ता स्तर हार्ट अटैक का रिस्‍क बढ़ा सकता है। जानें कैसे ये स्वीटनर आपके दिल को प्रभावित कर सकते हैं।

Artificial Sweeteners Risks: वजन कम करने या शुगर कंट्रोल करने के लिए लोग अक्सर जीरो कैलोरी शुगर या आर्टिफिशियल स्वीटनर का सहारा लेते हैं। ये स्वीटनर चीनी का एक पॉपुलर विकल्प बन चुका है, खासकर उन लोगों के लिए जो डायबिटीज से पीड़ित हैं या वेट लॉस करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मीठे जहर को यूज करने के खतरे क्या हैं? हालिया शोधों से पता चला है कि जीरो कैलोरी शुगर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

क्या कहती है क्लीनिकल रिसर्च की रिपोर्ट?

क्लीवलैंड क्लिनिक की रिसर्च के अनुसार, खून में एरिथ्रिटोल का बढ़ना हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ाता है। यूनाइटेड किंगडम और यूरोप में लोगों पर इस स्वीटनर का असर देखा गया। कम समय में एरिथ्रिटोल का असर सामने आ जाता है। खून में उसका स्तर बढ़ता जाता है। उसकी वजह से खून गाढ़ा होने की संभावना अधिक हो जाती है। नतीजतन, ब्लड क्लॉटिंग-हार्ट अटैक का रिस्‍क होता है।

एरिथ्रिटोल क्या है?

एरिथ्रिटोल एक आर्टिफिशियल स्वीटनर है, जिसे चीनी के विकल्प के रूप में यूज किया जाता है। यह कुछ फलों जैसे अंगूर, खरबूजा और नाशपाती और फर्मेंटेड खाद्य पदार्थों जैसे सोया सॉस, शराब, और चीज़ में भी पाया जाता है। व्यावसायिक रूप से मकई या गेहूं के स्टार्च से ग्लूकोज के फर्मेंटेशन के जरिए तैयार किया जाता है। सफेद पाउडर जैसे दिखने वाले एरिथ्रिटोल को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा सुरक्षित माना गया। उसके बाद से ही इसका यूज बढ़ गया।

शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

आर्टिफिशियल स्वीटनर आपकी जीभ की स्वाद कलिकाओं से जुड़ते हैं और दिमाग को मीठा होने का संकेत भेजते हैं। हालांकि, ये स्वीटनर शरीर द्वारा शोषित नहीं किए जाते, जिसका हमारे डाइजेशन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। कुछ दवाओं के साथ रिएक्शन करने की भी संभावना होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बिना डॉक्टर की सलाह के इसका यूज नहीं करना चाहिए। इनका नेचर थ्रोम्बोसिस यानी रक्त का थक्का बनाने वाला होता है, जो ब्लड में क्लाट बना सकता है।

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