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उदय भाई का ऑटो बिल से नहीं दिल से चलता है- सभी को देते हैं मुफ्त सवारी

Published : Aug 16, 2023, 05:14 PM ISTUpdated : Aug 16, 2023, 05:25 PM IST
उदय भाई का ऑटो बिल से नहीं दिल से चलता है- सभी को देते हैं मुफ्त सवारी

सार

अहमदाबाद के उदय सिंह जाधव गांधी जी के पद चिन्हों पर चलते हुए मानव सेवा कर रहे हैं। वह ऑटो चलाते हैं लेकिन उनका ऑटो मीटर से नहीं चलता। यात्री अपनी श्रद्धा से जो कुछ भी दे दे उदय ले लेते हैं। कभी किसी से मांगते नहीं। उनके सेवा भाव ने उन्हें तमाम सम्मान से नवाजा। उनके ऑटो पर लिखा हुआ है "अहमदाबाद ऑटो नो रिक्शालो"

अहमदाबाद. खादी कुर्ता, गांधी टोपी, लहजे से विनम्र सबकी परेशानी में एक पैर पर खड़े होने वाले अहमदाबाद के उदय सिंह जाधव ऑटो रिक्शा वाले गांधी जी के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। उनका ऑटो बिल से नहीं दिल से चलता है। माय नेशन हिंदी से उदय सिंह जाधव की खास बातचीत

कौन है उदय सिंह जाधव

उदय सिंह का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। उनके दो भाई और 6 बहने हैं। पिता भी ऑटो चलाते थे। एक आदमी की आमदनी से पूरे घर का भरण पोषण बहुत मुश्किल था इसलिए दसवीं के बाद उदय सिंह ने पढ़ाई छोड़ दी और एक गैराज में काम करने लगे। उस वक्त गैराज में एक गाड़ी धोने का ₹1 मिलता था। उदय सिंह के भाई भी ऑटो चलाते थे। अपने भाई से उन्होंने ऑटो चलाने का तरीका सीखा। उदय सिंह कहते हैं मुझे याद है ऑटो चलाते समय मेरी मुलाकात एक डॉक्टर से हुई थी जिसने मुझे काम पर रख लिया।  उनके क्लीनिक पर मैंने तेल मालिश करना सीखा। 15 साल तक मैं डॉक्टर साहब के साथ रहा। इसी दौरान मैं मानव साधना एनजीओ के संपर्क में आया। इसके  संस्थापक पदम श्री ईश्वर पटेल और उनके बेटे जयेश पटेल की सेवा भाव से उदय बहुत प्रभावित हुए और उसी दिन उन्होंने तय कर लिया कि वह भी मानव सेवा का कार्य करेंगे।



ऑटो नहीं चलता फिरता घर है 
2010 में उदय ने अपना ऑटो चलाना शुरु किया। उनकी ऑटो में छोटे बच्चों के खिलौने एक छोटी सी लाइब्रेरी एक डस्टबिन घर का तैयार किया हुआ खाना और कुछ बर्तन मौजूद रहते हैं। उदय खादी का कुर्ता पजामा पहनते हैं उनकी टोपी पर लिखा होता है सभी को प्यार करें सभी की सेवा करें। इसके बारे में उदय कहते हैं मेरा जन्म गांधीजी की कर्मभूमि साबरमती में हुआ है और मैं गांधी जी के ही पद चिन्हों पर चलना चाहता हूं। उदय सिंह के ऑटो रिक्शा में मीटर  नहीं लगा है।  वह किसी भी यात्री से पैसे नहीं मांगते।  कोई अपनी इच्छा अनुसार भुगतान कर दे तो जो देता है ले लेते हैं उन्होंने अपने ऑटो रिक्शा का नाम 'अहमदाबाद नो रिक्शालो' रखा है

पिता जी को बुरा लगता था फ्री रिक्शा चलाना 
उदय कहते हैं मेरे ऑटो में जो भी आप सजावट देख रहे हैं वह सब मेरी पत्नी ने किया है जब मैं घर से निकलता हूं तो वह मुझे खाना देती है ताकि जो भी मेरे यात्री हैं मैं उनके साथ मिल बाट कर खाऊं। उदय का बड़ा बेटा मैकेनिकल इंजीनियर है जबकि दूसरा एमकॉम कर रहा है और तीसरा ग्रेजुएशन कर रहा है। उदय कहते हैं मेरा फ्री रिक्शा चलाना मेरे पिता को बुरा लगता था लेकिन धीरे-धीरे मेरी सेवा भाव उनको अच्छा लगने लगा।



साबरमती सारथी 
उदय ने एक वैन भी खरीद लिया है जिसे वह साबरमती सारथी कहते हैं इस वैन में भी वह सारी सभी सुविधाएं हैं जो उनके ऑटो में होती है। एक संस्था की मदद से 3:30 लाख का लोन लेकर उदय ने यह वैन खरीदा था।  इस नेक काम के लिए उदय सिंह को बहुत से सम्मान से सम्मानित किया गया।  यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात अमिताभ बच्चन चेतन भगत परेश रावल आशा पारेख काजोल जैसी हस्तियों से भी हुई ।

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