झारखंड के सरायकेला के बासुरदा गांव के रहने वाले कामदेव पान ने शुरुआती पढ़ाई गांव से ही की। बचपन से ही मशीनों से इतना लगाव था कि साइकिल को ही ई-बाइक में तब्दील कर ग्रामीणों को यातायात का सुलभ साधन उपलब्ध कराया। अभी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ड्रोन कार के निर्माण में जुटे हुए हैं।
रांची। झारखंड के सरायकेला के बासुरदा गांव के रहने वाले कामदेव पान ने शुरुआती पढ़ाई गांव से ही की। बचपन से ही मशीनों से इतना लगाव था कि साइकिल को ही ई-बाइक में तब्दील कर ग्रामीणों को यातायात का सुलभ साधन उपलब्ध कराया। समय के साथ मशहूर हुए और एक बड़ी कंपनी में सालाना 26 लाख पैकेज पर नौकरी की। अभी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ड्रोन कार के निर्माण में जुटे हुए हैं।
2025 में बाजार में लाएंगे ड्रोन कार
माई नेशन हिंदी से बात करते हुए कामदेव पान कहते हैं कि पैसे के लिए डेढ़ से दो साल तक 26 लाख सालाना पैकेज पर नौकरी की। फिर खुद की एक कम्पनी बनाई। साल भर पहले 10 किग्रा के ड्रोन कार की टेस्टिंग कर चुके हैं। अभी खुद की ही फंडिंग से 200 किग्रा के ड्रोन कार पर काम कर रहा हूॅं। 2025 तक इसके बाजार में आने की उम्मीद है। ड्रोन कार का कॉमर्शियल यूज किया जा सकता है। जैसे-मेडिकल या आर्मी वगैरह के लिए ये बेहद लाभदायक साबित हो सकता है। कामदेव पान पहले ही ई-बाइक बनाकर मशहूर हो चुके हैं।
ग्रामीणों की परेशानी देखकर आया आइडिया
पांच भाइयों में सबसे छोटे कामदेव पान बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे, स्कूल दूर था। उनके गांव बासुरदा से जमशेदपुर करीबन 14 किमी दूर स्थित है। तमाम ग्रामीण साइकिल से ही ड्यूटी करने जाते थे। यह देखकर कामदेव के मन में यह विचार कौंधा कि यदि साइकिल को कुछ इस तरह बना दिया जाए कि वह मोटर से भी चले और पैडल से भी, तो लोगों को काफी राहत मिलेगी।
गांव के मिस्त्री से समझी बारीकी
कामदेव पान कहते हैं कि गांव में ही एक मिस्त्री हुआ करते थे, जो टीवी वगैरह रिपेयर किया करते थे। उनसे बेसिक जानकारी ली, मोटर के बारे में जाना। चूंकि विज्ञान में रूचि थी। इसलिए ई-बाइक बनाने में जुट गए। 12 वोल्ट का मोटर लगाकर साइकिल तैयार किया, पर 12 वोल्ट का मोटर 75 किग्रा का वजन नहीं खींच सकता। इसलिए उनका यह प्रयोग असफल रहा। पर ई-बाइक बनाने की पूरी मैकेनिज्म उनकी समझ में आ गई थी।
2009 में बनकर तैयार हुई ई-बाइक
इसी बीच जापान की यो-यो बाईक आई, तो ई-बाइक के पार्ट्स मिलने लगे। फिर कामदेव पान ने ई-बाइक बनाई, जो काफी सफल रही। गांव के लोग उसे काफी पंसद करते थे। उसी समय 50 से 60 ई-बाइक बनाकर लोगों को दिया भी। अब उनकी ई-बाइक को नया डिजाइन और नया लुक चाहिए था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पढ़ाई के साथ काम करना मजबूरी थी, तो जब उनके पास पैसा जुटा तो फिर वह ई-बाइक के निर्माण में जुट गए और साल 2009 में बनाकर तैयार किया।
600 ई-बाइक बिकी
कामदेव पान की ई-बाइक को सोशल मीडिया के जरिए साल 2017 में बाजार में नयी पहचान मिली, सहायता के लिए लोगों ने कॉल किया। बाइक के आर्डर मिलने शुरु हुए। सीएम हेमंत सोरेन ने भी बाइक की तारीफ की। साल 2019 में ई-बाइक की डिजाइन को बेहतर बनाया, एक नया लुक दिया और साल 2020-21 में यह मार्केट में आ गया। देश भर से इसकी डिमांड आने लगी। कामदेव पान अब तक देश भर में 600 ई-बाइक (Go Go Bike) बेच चुके हैं। उनकी ई-बाइक भी सबसे अलग है।