Akshit Parashari: जॉब के साथ पढ़ाई कर कैसे बनें UPSC टॉपर?

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Dec 26, 2024, 12:42 PM IST

अक्षत पाराशरी की सफलता की कहानी, जिन्होंने जॉब के साथ यूपीएससी ईएसई की तैयारी करते हुए ऑल इंडिया रैंक 10 हासिल की। जानें पढ़ाई, मेहनत और टाइम मैनेजमेंट के अनमोल टिप्स।

Success Story: अक्षत पाराशरी ने नौकरी करते हुए यूपीएससी क्लियर कर इतिहास रच दिया। यूपीएससी ईएसई (इंजीनियरिंग सर्विस एग्जाम) में ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल की। उनकी कहानी नौकरी के साथ पढ़ाई करने वालों को एक नई राह दिखाती है और बताती है कि मुश्किलें चाहे जितनी भी हों, पर यदि इरादे मजबूत हों तो हर लक्ष्य पाया जा सकता है। 

हिंदी मीडियम से शुरूआती पढ़ाई

अक्षत पाराशरी ने अपनी शुरुआती शिक्षा नैनीताल रोड पर स्थित हिंदी मीडियम सरस्वती शिशु मंदिर से पूरी की।  अक्षत पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रहे। उन्होंने छठी कक्षा में जय नारायण इंटर कॉलेज में एडमिशन लिया, जहां के टीचर्स ने उनके टैलेंट को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट किया। उनके पिता जय नारायण इंटर कॉलेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता हैं।

12वीं क्लास में पूरे जिले में टॉप

अक्षत ने 12वीं क्लास में पूरे जिले में टॉप किया। हालांकि, बारहवीं के बाद उनकी तैयारी उस स्तर की नहीं थी, जिससे वह अपने मनचाहे इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले सकें। इसलिए उन्होंने एक साल ड्रॉप करके फिर से मेहनत की। जेईई मेन्स की तैयारी की और बेहतर कॉलेज में एडमिशन लिया। बीटेक के दौरान भी अक्षत ने अपनी टैलेंट का लोहा मनवाया। वे ऑल ओवर यूपी के टॉपर बने और उन्हें गवर्नर गोल्ड मेडल मिला।

गेट में ऑल इंडिया 68वीं रैंक

बीटेक के बाद अक्षत ने गेट एग्जाम दिया, जिसमें उन्होंने ऑल इंडिया 68वीं रैंक हासिल की। उन्हें मुंबई से इंटरव्यू कॉल आया और पीएसओ (पब्लिक सेक्टर ऑर्गनाइजेशन) में सिलेक्शन हुआ। हालांकि, उन्होंने इस जॉब को ज्वाइन नहीं किया। बाद में, उन्होंने गेल में नौकरी की। गेल में नौकरी करते हुए अक्षत ने यूपीएससी ईएसई की तैयारी शुरू की। यूपीएससी की तैयारी के लिए इंजीनियरिंग के मजबूत बेस को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को चुना और यूपीएससी ईएसई में ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल की। 

नौकरी के साथ पढ़ाई की स्ट्रेटजी क्या?

अक्षत पाराशरी का मानना है कि नौकरी के साथ पढ़ाई करना आसान नहीं है, लेकिन सही स्ट्रेटजी के साथ अनुशासन का पालन करते हुए असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। अक्षत ने अपने वीकेंड्स को पढ़ाई के लिए डेडिकेट किया। डेली पढ़ाई के घंटे गिनने की बजाय टारगेट तय किए। उनके सहयोगियों ने भी उन्हें समय-समय पर मोटिवेट किया। अक्षत ने हमेशा यह ध्यान रखा कि पढ़ाई का समय भले ही कम हो, लेकिन पढ़ाई क्वालिटी से भरपूर हो। 

ये भी पढें-कम उम्र में बड़ी कामयाबी: जानिए कैसे 22 साल में IAS बनीं अनन्या सिंह?

click me!