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300 रूपये का  दिहाड़ी मज़दूर , अब एक करोड़ की कम्पनी का मालिक 

Published : Nov 28, 2023, 01:49 PM IST
300 रूपये का  दिहाड़ी मज़दूर , अब एक करोड़ की कम्पनी का मालिक 

सार

असम के दिहाड़ी मजदूर दिगंता दास उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो जिंदगी में हताश होकर निराश होकर बैठ जाते हैं। दिगंता दास ने अपनी किस्मत बदलने के लिए दशकों तक मेहनत किया।  ₹300 की दिहाड़ी मजदूर से लेकर 6000 के सिक्योरिटी गार्ड तक की नौकरी किया। बस संघर्ष से थक कर हार नहीं मानी और आज दिगंता की अपनी खुद की कंपनी है जिससे उन्हें सालाना एक करोड़ से ज्यादा की कमाई होती है।

 
असम। दिगंता दास ने हर वह काम किया जिससे उनके परिवार का पर भरण पोषण हो सके।  उन्होंने एक दिहाड़ी मजदूर की नौकरी की, एक रसोईया की नौकरी की, एक सुरक्षा गार्ड की नौकरी की, एक कोयला खदान में कर्मचारी की नौकरी की और आज वह डेली फ्रेश फूड के मालिक है। इतनी बड़ी कंपनी का मालिक बनने से पहले दिगंता ने जो संघर्ष किया वह आसान नहीं था। माय नेशन हिंदी से दिगंता ने अपनी जर्नी शेयर की 

कौन है दिगंता  दास
असम के बिस्वनाथ  जिले के गोहपुर शहर के निवासी दिगंत दास का जन्म एक  गरीब किसान परिवार में हुआ जो  जरूरतों को पूरा करने के लिए हर रोज़ संघर्ष करते थे। तीन भाई-बहनों में दिगंता सबसे छोटे और इकलौता बेटे है। उनकी मां सुमिला दास एक गृहिणी हैं, उनके पिता नरेन दास एक किसान थे। दिगंत ने साल 2001 में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की।  आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी इसलिए वह अरुणाचल प्रदेश चले गए और एक दिहाड़ी मजदूर की नौकरी करना शुरू कर दिया। साल 2005 में दिगंत मेघालय के कोयला खदानों में काम करने लगे। कोयला खदानों में काम करते-करते दिगंत असम के उदलगुड़ी जिले में एक निर्माण कंपनी में स्टोर कीपर के रूप में नौकरी करने लगे। यहां दिगंत को एक कुक के तौर पर काम करने का मौका मिला। संघर्ष जारी रहा और बेहतर अवसर की तलाश में दिगंत 2008 में बेंगलुरु चले गए और और एक उद्योग केंद्र में निजी सुरक्षा गार्ड की नौकरी करना शुरू कर दिया। बेंगलुरु में जगह-जगह छोटी-छोटी नौकरी करने के बाद साल 2014 में दिगंत असम लौट आए ।

दिगंता  को हो गया लकवा
साल 2017 में दिगंता का आधा शरीर लकवा ग्रस्त हो गया दरअसल उनके ऊपर एक हाई वोल्टेज बिजली का तार गिर गया जिसके बाद उन्हें ठीक होने में लगभग 4 साल लग गए।  यह चार साल बहुत मुश्किल थे। तबीयत थोड़ी बेहतर हुई तो दिगंता बेंगलुरु चले गए वहां से सिलिकॉन सिटी में पराठा बनाने का काम शुरू कर दिया।


 
कोविड में शुरू किया पराठों का बिजनेस
दिगंत ने कोविद के दौरान पराठों का बिजनेस शुरू किया लेकिन उनको कामयाबी नहीं मिली। दिगंता ने हार नहीं मानी और साल 2022 में अपने होमटाउन गोहपुर में डेली फ्रेश फूड नाम से पराठे का ब्रांड शुरू किया। अपनी पूरी जिंदगी की कमाई से दिगंत ने ₹700000 बचाए थे जो उन्होंने अपने बिजनेस में लगा दिया।1 साल के अंदर दिगंत का बिजनेस चल निकला। आज उनकी कंपनी डेली फ्रेश फूड कस्टमर देश की बड़ी कंपनियों में होता है।


एक पैकेट पराठा 60 से लेकर ₹100 तक
दिगंत के पराठों की प्राइस 60 से लेकर ₹100 तक है एक पैकेट में 5 से 10 पीस होते हैं इनकी शेल लाइफ तीन दिन तक होती है अगर आप रेफ्रिजरेटर में रखते हैं। तो यह 7 दिन तक एकदम ठीक रहते हैं। हर रोज़ कम्पनी 2000 पराठे बनाती है,  एक दिन की कमाई लगभग 30000 के करीब होती है। वहीं  8 कर्मचारियों जो कम्पनी दस हज़ार से ज़्यादा सैलरी देती है। 
 
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