पिता की मौत के बाद झारखंड के आनंद गौतम की मां ने ब्यूटी पार्लर चलाकर परिवार संभाला। बेटे ने मेहनत कर BPSC 2023 में 33वीं रैंक हासिल की।
BPSC exam: पिता की मौत के बाद मां ने परिवार संभाला। ब्यूटी पॉर्लर चलाकर बेटे को पढ़ाया। अब उसी बेटे ने पूरे जिले का नाम रोशन किया है। बीपीएससी (Bihar Public Service Commission) 2023 एग्जाम में 33वीं रैंक हासिल की है। हम बात कर रहे हैं गोड्डा, झारखंड के मेहरमा प्रखंड के धमड़ी गांव के रहने वाले आनंद गौतम की। उनकी सफलता में मां चंदा कुमारी का बड़ा सपोर्ट रहा, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बीच भी बेटे के सपने को टूटने नहीं दिया।
पिता की मौत के बाद मां बनीं सहारा
आनंद के पिता रविंद्र कुमार साह का 2017 में निधन हो गया था। पिता की मौत के बाद परिवार के सामने फाइनेंशियल क्राइसिस और अन्य चुनौतियां खड़ी हो गईं। इसके बावजूद, आनंद की मां चंदा कुमारी ने हार नहीं मानी। वे ब्यूटी पार्लर चलाकर अपने परिवार को संभालने लगीं और बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया। उनके छोटे भाई, रीतेश रौशन, भी वर्तमान में बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) से पढ़ाई कर रहे हैं। चंदा कुमारी का सपना अपने दोनों बेटों को टॉप लेवल तक पहुंचाना है, ताकि वे समाज और देश की सेवा कर सकें। आनंद ने भी अपनी मां की मेहनत को समझते हुए खुद को पढ़ाई में झोंक दिया।
बचपन से पढ़ाई में होनहार
आनंद बचपन से ही पढ़ाई में होनहार रहे हैं। उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई 2015 में डीएवी पब्लिक स्कूल, मथुरापुर से पूरी की, जहां उन्होंने 10 सीजीपीए हासिल किए। इसके बाद उन्होंने 2017 में 12वीं की परीक्षा चिन्मया विद्यालय, बोकारो से 89% अंकों के साथ पास की। पढ़ाई के प्रति शुरूआती दिनों से ही उनके अंदर एक लगन थी।
पिता का सपना बन गया जीवन का लक्ष्य
आनंद गौतम वर्तमान में कर्नाटक के भेलौर में पोस्ट ऑफिस में पोस्टल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं। नौकरी के साथ-साथ बीपीएससी की तैयारी की। यह आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने दिनभर काम करने के बाद रात को पढ़ाई के लिए समय निकाला। उनका मानना है कि समय प्रबंधन और मजबूत इच्छाशक्ति ही सफलता की कुंजी है। आनंद गौतम के मुताबिक, उनकी सक्सेस में उनकी मां, मौसी और मामा का सबसे बड़ा योगदान रहा। उनके पिता का सपना था कि बेटा प्रशासनिक सेवा में जाए और समाज की सेवा करे। यही सपना आनंद के जीवन का लक्ष्य बन गया।
अब यूपीएससी की तैयारी
आनंद गौतम और उनके छोटे भाई रीतेश रौशन अब यूपीएससी (Union Public Service Commission) की तैयारी में जुटे हैं। उनका सपना है कि वे सिविल सेवा में जाएं और देश की सेवा में अपना योगदान दें। उनका मानना है कि प्रशासनिक सेवा के जरिए ही वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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