अनुया त्रिवेदी गरीब बच्चों के लिए प्लेस्टेशन बनाते हैं और इस काम के लिए उन्होंने अपनी फार्मा इंडस्ट्री की नौकरी छोड़ दिया। अपने जन्मदिन पारिवारिक उत्सव को अनुया गरीब बच्चों के साथ मनाती हैं और तोहफे के तौर पर उन्हें झूले और प्लेस्टेशन बनाकर देती हैं। शानदार काम के लिए अनुया को ग्लोबल रीसाइकलिंग अवार्ड भी मिल चुका है
गुजरात। अनुया त्रिवेदी गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली है। अपने पति के साथ मिलकर वह गरीब बच्चों के लिए प्लेस्टेशन बनती हैं। हमेशा से वह लोगों की मदद करती रहती थी। लेकिन नौकरी की वजह से अनुया को गरीबों के साथ वक्त गुजारने का मौका नहीं मिल पाता था। और गरीबों की मदद के लिए अनुया ने फार्मा इंडस्ट्री की नौकरी छोड़ दिया। माय नेशन हिंदी से अनुया ने अपनी जर्नी शेयर किया।
कौन है अनुया त्रिवेदी
अनुया त्रिवेदी गुजरात के अहमदाबाद में रहती हैं वह फार्मा इंडस्ट्री में लंबे समय से नौकरी कर रही थी। पुराने टायर से अनुया गरीब बच्चों के लिए झूला बनती हैं और प्लेस्टेशन तैयार करती हैं इसके पीछे भी एक घटना है जिसे अनुया को इस काम के लिए प्रेरित किया। दरअसल अनुया और उनके पति अपना जन्मदिन मैरिज एनिवर्सरी या कोई भी पारिवारिक उत्सव अनाथ आश्रम या आंगनबाड़ी केंद्र के साथ मनाते थे और इस मौके पर जरूरतमंदों को तोहफे देते थे। एक बार वह अपने बच्चों के जन्मदिन पर आंगनबाड़ी केंद्र के तो देखा वहां बच्चों के लिए मैदान तो है खेलने का लेकिन झूले नहीं थे। अनुया ने तय किया कि वह बच्चों को झूला देंगी। उन्होंने ऑफिस से छुट्टी लिया और पुराने टायर से झूला बनाया और जब आंगनबाड़ी केंद्र में यह झूला लगाया तो वहां के बच्चे बेइंतहा खुश हुए। बच्चों की खुशी देखकर अनुया ने तय किया कि अब वह यह काम करती रहेगी।
अनुया के झूले हो गए फेमस
अनुया का बनाया हुआ झूला लोगों को पसंद आने लगा और आसपास के स्कूलों ने उनसे संपर्क करना शुरू किया इन्हीं में प्रहलाद नगर के स्लम स्कूल ने अनुया से कांटेक्ट किया और गुजारिश किया कि वह बच्चों के लिए प्लेस्टेशन बना दे क्योंकि उसे स्कूल में गरीब दफ्तर के बच्चे पढ़ते थे लिहाजा अनुया ने स्कूल का मुआयना किया ताकि यह पता कर सके क्यों नहीं क्या-क्या चाहिए और कितना फंड चाहिए। उन्होंने फन रेसिंग कैंपेन चलाया और जरूरी सामान इकट्ठा करके बच्चों के लिए प्लेस्टेशन बनाया।
अनुया ने छोड़ दिया नौकरी
स्लम एरिया में प्लेस्टेशन बनाने के बाद अनुया ने अपनी नौकरी छोड़ दिया। और प्लेस्टेशन बनाने की अपने काम को आगे बढ़ाने का तय कर लिया उन्होंने एक छोटा सा स्टार्टअप ग्रीन बडीज ओपन किया जिसके अंतर्गत सरकारी और ट्रस्ट के स्कूलों में पुराने टायर से बच्चों के लिए प्लेस्टेशन बनाए जाने लगा। अनुया के इस काम में उनके पति भी उनके साथ देते हैं अब तक वह 40 से ज्यादा स्कूल के प्लेस्टेशन बन चुकी हैं। टायर्स के लिए वह कर सर्विसिंग वर्कशॉप से संपर्क करती हैं जहां से उन्हें कभी-कभी मुफ्त में भी टायर मिल जाता है।
प्लांटेशन पर देती है ध्यान
टायर के साथ-साथ अनुया और भी वेस्ट मटेरियल से झूला बनती है साथ ही स्कूल की प्लेन दीवारों पर पेंटिंग करके बच्चों के लिए पढ़ाई से रिलेटेड पेंटिंग बनती हैं और साथ ही बच्चों से प्लांटेशन करवाती हैं इस काम को लेकर अनुया को ग्लोबल रीसाइकलिंग अवार्ड भी मिल चुका है। अनुया अब तक कानपुर बेंगलुरु अहमदाबाद और दिल्ली के स्कूलों में प्लेस्टेशन बन चुकी हैं
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