Exclusive: इस फ्री कोचिंग में IAS-IPS करते हैं मेंटरिंग, 350 कॉम्पिटेटिव एग्जाम में हुए सक्‍सेस, 23 बने आईएएस

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Mar 19, 2024, 3:59 PM IST
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IAS-IPS की मेंटरिंग में बिना फीस की कोचिंग। 8000 स्टूडेंट फायदा उठा रहे हैं। 23 आईएएस और दर्जनों यूपी पीसीएस एग्जाम में सफल हुए हैं।

लखनऊ। शालिनी रंजन के पिता योगेंद्र सिंह खेती-किसानी करते और मॉं उर्मिला देवी आशा वर्कर थीं। ऐसे में यूपी के आगरा स्थित खंदौली कस्बे के नगला अर्जुन गांव से निकलकर यूपी पीसीएस एग्जाम क्रैक करना उनके लिए आसान नहीं था। शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की। आगरा से ही बीए और एमए किया। उनका सपना सिविल सर्विस ज्वाइन करने का था। पर परिवार की माली हालत ऐसी नहीं थी कि महंगे कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला ले सके। माय नेशन हिंदी से बातचीत में वह कहती हैं कि ऐसे में यूपी के समाज कल्याण विभाग की अभ्युदय योजना के तहत सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाली कोचिंग उनका सहारा बनी।

बिना फीस की कोचिंग के साथ मिली हॉस्टल सुविधा

हापुड़ की फ्री कोचिंग में हॉस्टल फैसिलिटी के साथ उनका सेलेक्शन हो गया। हालांकि उस समय परिवार भी यह नहीं तय कर पा रहा था कि उन्हें पढ़ाई के लिए घर से बाहर भेजा जाए या नहीं। फिर भी वह पिता के साथ हापुड़ जाकर कोचिंग सेंटर देख आईं। शालिनी कहती हैं कि फिर मॉं की परमिशन से कोचिंग ज्वाइन की। हॉस्टल में 4 से 5 महीने रूकी। उसी दरम्यान कोविड महामारी की वजह से लॉकडाउन लग गया। घर लौट कर मोबाइल, घर पर रखी किताबों और ताऊजी के लड़के की बुक्स से पढ़ाई कर यूपी पीसीएस एग्जाम दिया। उनका प्रीलिम्स क्लियर हुआ तो फिर हापुड़ की कोचिंग से आगे की तैयारी के लिए बुलावा आ गया। बीमारी के बीच मेंस एग्जाम दिया और फिर इंटरव्यू। आखिरकार यूपी पीसीएस 2020 में उनका सेलेक्शन हो गया। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी की नौकरी मिली।

4 साल में 350 अभ्यर्थियों को सक्सेस

बीते 4 साल में अभ्युदय योजना के तहत चलने वाले कोचिंग सेंटर्स से छोटी-बड़ी कुल प्रतियोगी परीक्षाओं में 350 अभ्यर्थियों को सफलता मिली है। उनमें 23 आईएएस और करीबन 100 से ज्यादा यूपी पीसीएस एग्जाम में अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। खास यह है कि कोचिंग में आईएएस और आईपीएस अधिकारी मेंटरिंग करते हैं। समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत के मुताबिक, मौजूदा समय में प्रदेश भर में लगभग 8000 छात्र फ्री कोचिंग का फायदा पा रहे हैं। जिसमें आईएएस, पीसीएस, एनडीए, सीडीएस, जेईई, नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रिपरेशन कराई जाती है। 

मजदूर पिता के बेटे ने रचा कीर्तिमान

मथुरा के गोविंदपुर गांव के रहने वाले वेद प्रकाश कहते हैं कि पिता मजदूर थे। ऐसे में हॉयर एजूकेशन प्राप्त करना इतना आसान नहीं था। सरकारी स्कूल से पढ़ाई की। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद साल 2017 से सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरु कर दी। एक साल तक सेल्फ स्टडी के बाद दिल्ली में भी दो साल तक तैयारी की। फिर साल 2020 में अभ्युदय योजना के तहत हापुड़ में चलने वाली फ्री कोचिंग में हॉस्टल सुविधा के साथ दाखिला मिला। वहां प्रिपरेशन के बदले फीस नहीं देनी पड़ती थी। एक साल तक किसी फेस्टिवल पर घर नहीं गया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जी-जान से जुटा रहा।​ यूपी पीसीएस 2021 एग्जाम में सफलता मिली। ब्लॉक डेवलपमेंट आफिसर की नौकरी मिली।

बड़े भाई का गाइडेंस और सपोर्ट आया काम

वेद प्रकाश कहते हैं कि बार-बार एग्जाम देने के बाद भी फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आता था तो निराश होती थी। तब खुद के अंदर का मोटिवेशन ही संभालता था कि हमें अपने आपको मजबूत बनाना है। उसी दौरान बड़े भाई टीचर बन गए तो उनके सपोर्ट से सिविल सर्विस एग्जाम की जर्नी की मुश्किलें थोड़ी कम हुईं। निराशा के दौरान उनका भी गाइडेंस मिलता था। अन्य पदों की नौकरियों के लिए ट्रॉय करता रहा। 

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