Success Story: न ग्रेजुएट न MBA, सिर्फ 10वीं पास भारतीय अमेरिका में बना करोड़पति

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Aug 21, 2024, 3:52 PM IST

अमेरिका में बसे एक भारतीय अप्रवासी की प्रेरणादायक कहानी जिसने गुजराती रेस्टोरेंट खोलकर करोड़ों की कमाई की। जानें कैसे सामान्य ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव ने उन्हें सफलता दिलाई।

Success Story: संयुक्त राज्य अमेरिका में एक भारतीय अप्रवासी की इंस्प्रेशनल स्टोरी इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। यह कहानी सुनील नाम के एक व्यक्ति ने X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर की, जिसमें उन्होंने अपने गुजराती दोस्त की सफलता की दास्तान बताई है। जो सिर्फ 10वीं कक्षा तक पढ़ाई कर पाया था, लेकिन आज अमेरिका में एक रेस्टोरेंट के मालिक के रूप में करोड़पति बन गया है।

दोस्त ने बताया सफलता के लिए डिग्री नहीं क्या है जरूरी?
X यूजर सुनील ने पोस्ट में मजाकिया अंदाज में अपने दोस्त की सफलता की तुलना अपने मास्टर डिग्री और पॉडकास्ट सुनने की आदत से की। उन्होंने लिखा, "न्यू जर्सी में एक गुजराती दोस्त से मिला, जिसने एक रेस्टोरेंट खोल रखा है। उसके पास न तो ग्रेजुएशन की डिग्री है और न ही उसने MBA कर रखा है। वह सिर्फ 10वीं पास है और मैं मास्टर डिग्री वाला इंजीनियर हूं, जो पॉडकास्ट सुनता हूं।"

Advantage of being a Gujarati:

Met a Patel friend who runs a restaurant in New Jersey.

He was in his late 40s and 10th pass. I am engineer with masters degree who listens to podcasts. 😂

I told him that Peter Thiel said that worst business one can do is open a restaurant.…

— Sunil (@sunilavaria)

 

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर की दोस्त की स्टोरी
उन्होंने बताया कि उनका दोस्त रेस्टोरेंट चलाने को करोड़पति बनने का पक्का तरीका मानता है। सुनील के दोस्त का कहना है कि उनके पास कम से कम 50 परिवार हैं, जो रेगुलर उनके रेस्टोरेंट में आते हैं और वे छोटी-मोटी समस्याओं के बावजूद अपना संरक्षण बनाए रखते हैं।  न्यूयॉर्क और पेंसिल्वेनिया के बहुत से गुजराती जब रॉबिन्सविले में स्वामीनारायण मंदिर में दर्शन करने जाते हैं, तो वे पर्यटक बस किराए पर लेते हैं।

यूजर्स ने लिखा कि तमाम डिग्रियों से कहीं बेहतर है प्रैक्टिकल स्किल
सुनील ने लिखा कि रॉबिन्सविले के रास्ते में, वे स्वादिष्ट गुजराती थाली खाने के लिए उसके रेस्तरा में रुकते हैं। हर बस में 50-75 लोग होते हैं। X यूजर ने बताया कि उसके दोस्त को बस हर सुबह उठना है और दाल, चावल, रोटी, सब्जी और ढोकला पकाना है। उसने कहा कि दस सालों में, इस सरल तरीके ने उसे करोड़पति बना दिया। रेस्टोरेंट के जरिए अपने दोस्त ने जो सफलता हासिल की है, वह किसी औपचारिक शिक्षा या बड़े व्यावसायिक सिद्धांतों (Business Principles) की वजह से नहीं, बल्कि सामान्य ज्ञान, व्यावहारिक अनुभव और रिस्क लेने की क्षमता के कारण है। सुनील ने यह भी बताया कि उनके दोस्त का बिजिनेस मॉडल कम्युनिटी रिलेशंस और नेटवर्क पर आधारित है, जो पश्चिमी देशों में दुर्लभ है।

X यूजर की पोस्ट पर आ रहे धड़ाधड़ कमेंट
सुनील की इस पोस्ट को लाखों लोगों ने देखा और हजारों लाइक्स मिले, जिससे ट्रेडिशनल एजूकेशन V/S प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस की चर्चा ने जोर पकड़ लिया। कई यूजर्स ने इस पर अपने विचार शेयर किए। जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे सिंपल ऑब्जर्वेशन और प्रैक्टिकल थिंकिंग से भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है। यह कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि इसने यह भी साबित कर दिया कि सफलता के लिए फॉर्मल एजूकेशन से ज्यादा जरूरी है प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस और रिस्क उठाने की क्षमता।


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