कैसे एक किसान संपूर्ण सिंह बने पूरी ट्रेन के मालिक, यहां देखें इंडियन रेलवे का अनोखा मामला

By Surya Prakash TripathiFirst Published Aug 27, 2024, 2:35 PM IST
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जानिए कैसे पंजाब के लुधियाना के एक किसान संपूर्ण सिंह पूरे देश में एकमात्र ऐसे शख्स बने, जिन्होंने कानूनी प्रक्रिया के तहत एक पूरी ट्रेन, अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस, की कुर्की की और इसके मालिक बने।

Indian Railway Train Owner: वैसे तो कानून की दृष्टि से भारत में कोई भी व्यक्ति न तो रेलगाड़ी खरीद सकता है और न ही अपनी रेलगाड़ी भारतीय रेल की पटरियों पर चला सकता है, लेकिन पंजाब के 45 वर्षीय सम्पूर्ण सिंह की घटना ने उस समय पूरे देश को अचंभित कर दिया था। सम्पूर्ण सिंह लुधियाना के कटाना गांव के निवासी हैं। इस घटना की नींव वर्ष 2007 में तब पड़ी थी, जब रेलवे ने लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन बनाने के लिए सम्पूर्ण सिंह समेत कई किसानों की जमीनें खरीदी थीं।

कौन हैं संपूर्ण सिंह?
संपूर्ण सिंह पंजाब के लुधियाना जिले के कटाणा गांव के एक साधारण किसान हैं। यह घटना 2017 की है, जब संपूर्ण सिंह अचानक दिल्ली-अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन गए। यह कोई धोखाधड़ी नहीं, बल्कि कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से हुआ था।

घटना की शुरुआत कैसे हुई?
2007 में, लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के निर्माण के लिए रेलवे ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसमें संपूर्ण सिंह की जमीन भी शामिल थी। रेलवे ने उनकी जमीन के लिए 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन मामला तब बिगड़ा जब संपूर्ण सिंह को पता चला कि पास के एक गांव में रेलवे ने जमीन के लिए 71 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया है।

कोर्ट में मामला और ट्रेन की कुर्की
रेलवे के इस दोहरे मापदंड के खिलाफ संपूर्ण सिंह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद रेलवे को 50 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसे बाद में बढ़ाकर 1.47 करोड़ रुपये कर दिया गया। लेकिन रेलवे ने सिर्फ 42 लाख रुपये का भुगतान किया और बाकी 1.05 करोड़ रुपये देने में विफल रहा। इसलिए 2017 में जिला और सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन को कुर्क करने का आदेश दिया। इसके बाद संपूर्ण सिंह ने स्टेशन पर जाकर वहां खड़ी अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को कुर्क कर लिया और ट्रेन के कानूनी मालिक बन गए।

वर्तमान स्थिति क्या है?
हालांकि, ट्रेन को कुछ ही देर में अदालत के आदेश से मुक्त कर दिया गया। यह अनोखा मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है और भारतीय रेलवे के इतिहास में एक अनोखी घटना के रूप में दर्ज हो चुका है। यह घटना साबित करती है कि कानूनी व्यवस्था में सही तरीके से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयास करने से न्याय पाया जा सकता है, चाहे वह एक किसान हो या कोई और।


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