अनिल मणिभाई नाईक ने अपने कॅरियर की शुरुआत 760 रुपये महीने की सैलरी के साथ की थी। उनकी गिनती देश के बड़े दानवीरों में होती है। लार्सन एंड टुब्रो के एमेरिटस चेयरमैन हैं।
नयी दिल्ली। अनिल मणिभाई नाईक (AM Naik) लार्सन एंड टुब्रो के एमेरिटस चेयरमैन (Chairman Emeritus of Larsen and Toubro) हैं। कम्पनी का मौजूदा मार्केट कैप 4,19,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। एलएंडटी (Larsen and Toubro) ने यदि यह ऊंचाई हासिल की है, तो उसका श्रेय AM Naik को दिया जाता है। उनके पिता मणिभाई निचाभाई नाइक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ग्रामीण भारत के विकास में योगदान देने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। प्रबंधन कौशल के लिए पहचाने जाने वाले उनके बेटे अनिल मणिभाई नाईक ने भी अपने परोपकारी पिता की राह चुनी।
760 रुपये सैलरी पर शुरु की थी जॉब
AM Naik का जन्म साल 1965 में गुजरात में हुआ था। उन्होंने बिड़ला विश्वकर्मा महाविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। पर यह डिग्री एलएंडटी में जॉब पाने के लिए पर्याप्त नहीं थी। कम्पनी आईआईटी से पढ़े पेशेवर इंजीनियर्स को नौकरी में प्रॉयरिटी देती थी। एलएंडटी में नौकरी पाने में असफल रहे नाइक ने नेस्टर बॉयलर्स कम्पनी जॉइन कर ली। कुछ समय तक काम का अनुभव प्राप्त किया और फिर एलएंडटी में नौकरी का प्रयास किया। साल 1965 में असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में नौकरी मिली। तब उनका वेतन सिर्फ 760 रुपये था।
1986 में जीएम और 1989 में बोर्ड में हुए शामिल
एएम नाइक की मेहनत देख कर कुछ ही समय बाद उनका प्रमोशन हो गया। जब उनकी उम्र 25 वर्ष की भी नहीं थी। तभी उन्हें 800 लोगों का प्रभारी बनाया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह कहते हैं कि उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि अपनी प्रोफेशनल लाइफ में वह इस ऊंचाई को हासिल कर पाएंगे। उन्हें लगता था कि वह अपने रिटायरमेंट तक बमुश्किल 1000 रुपये की सैलरी तक ही पहुंच पाएंगे। साल 1986 में महाप्रबंधक और 23 नवंबर 1989 को एल एंड टी लिमिटेड के बोर्ड में शामिल हुए।
1999 में बनें लार्सन एंड टुब्रो के सीईओ
एएम नाइक को साल 1999 में लार्सन एंड टुब्रो का सीईओ बनाया गया। उन्होंने एमडी का भी पद संभाला। साल 2003 में वह कम्पनी के इतिहास में ऐसे पहले कर्मचारी बनें, जो लार्सन एंड टुब्रो का अध्यक्ष बना। उस दौरान नाइक ने कम्पनी में परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू कर संगठन को उद्यमशील बनाया। 2017 में अनिल मणिभाई नाईक ने कार्यकारी जिम्मेदारियों से किनारा कर समूह अध्यक्ष का पद संभाला और साल 2023 में कंपनी के मानद अध्यक्ष नियुक्त किए गए। कम्पनी ने साल 2017-2018 में उन्हें 137 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया था। एक आंकलन के मुताबिक, साल 2016 में उनकी नेटवर्थ 400 करोड़ आंकी गई थी।
देश के बड़े दानवीरों में गिनती
अनिल मणिभाई नाइक को देश के सबसे बड़े दानवीरों में गिना जाता है। साल 2016 में उन्होंने अपने जीवनकाल में अर्जित आय का 75% धर्मार्थ कार्यों में देने का वादा किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने 142 करोड़ रुपये दान में दिए। नाइक चैरिटेबल ट्रस्ट और निराली मेमोरियल मेडिकल ट्रस्ट की स्थापना करने की भी घोषणा की थी। उनके मेडिकल ट्रस्ट ने नवसारी, गुजरात में एक कैंसर अस्पताल की नींव भी रखी। उस परिसर में एक विशेष अस्पताल होगा। जिसके लिए अपोलो ग्रुप से समझौता किया गया है। उन्हें देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्य विभूषण भी प्राप्त है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एएम नाइक के पास 171.3 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति के कुल 9 स्टॉक हैं।