...जब सांसों पर लगा पहरा तो जौनपुर के अरुण सिंह ने शुरू की नई मुहीम, अब तक लगा चुके हैं हजारों पीपल के पेड़

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Nov 13, 2023, 11:05 PM IST
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यूपी के जौनपुर शहर के रहने वाले अरुण सिंह कोरोना महामारी की चपेट में थे। यह वह दौर था, जब आक्सीजन की कमी हो गई थी। काफी समय तक बिस्तर पर पड़े रहें। धीरे-धीरे सेहत नॉर्मल हुई तो आक्सीजन देने वाले पेड़ लगाने की नई मुहीम शुरु कर दी। अब तक हजारो पीपल के पेड़ लगा चुके हैं।

जौनपुर। साल 2020 का कोरोना महामारी का भयानक मंजर कोई नहीं भूल सकता। यूपी के जौनपुर शहर के रहने वाले अरुण सिंह खुद महामारी की चपेट में थे। यह वह दौर था, जब आक्सीजन की कमी हो गई थी। रोगियों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। अरुण​ सिंह ने वह दौर देखा। खुद कोरोना से जूझे। काफी समय तक बिस्तर पर पड़े रहें। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए अरुण सिंह कहते हैं कि धीरे-धीरे सेहत नॉर्मल हुई तो आक्सीजन देने वाले पेड़ लगाने की नई मुहीम शुरु कर दी। अब तक हजारो पीपल के पेड़ लगा चुके हैं।

बर्थडे, मैरिज एनिवर्सिरी, शुभ अवसरों पर जरूर लगाएं एक पौधा 

समाजसेवी अरुण सिंह कहते हैं कि आक्सीजन देने वाले पेड़-पौधे वातावरण को शुद्ध रखते हैं। हमें अपने जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सिरी समेत अन्य शुभ अवसरों पर एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। ये वृक्ष अडिग खड़े रहकर उस शुभ अवसर की गवाही देते हैं। अरुण सिंह लोगों को पेड़ों का महत्व भी समझाते हैं और उन्हें पेड़ लगाने के लिए उत्साहित भी करते हैं। कोरोना महामारी के बाद से अरुण सिंह अब तक हजारो पेड़ लगा चुके हैं। पेड़ लगाने के बाद वह उनके संरक्षण का भी ख्याल रखते हैं। अब तक कई लोगों को पेड़ गोद भी दे चुके हैं। कई जगहों पर उनके लगाए पेड़ लहलहा भी रहे हैं। 

 

लोगों को समझाया- जीवन सही रहेगा, तभी दाल-रोटी की जरूरत 

अरुण सिंह के लिए यह काम करना इतना आसान भी नहीं था। पीपल का पेड़ लगाते देख स्थानीय लोगों ने उनका विरोध भी किया। लोगों को तर्क था कि पीपल के पेड़ की जड़ें दूर तक जाती हैं। जिससे अन्य बसावटों को नुकसान हो सकता है। अरुण सिंह ने उन्हें समझाया कि जैसे हम अपने जीने के लिए दाल, चावल, सब्जी व अन्य जरूरी चीजें उगाते या खरीदते हैं और उनका यूज कर डेली ऊर्जा प्राप्त करते हैं। उसी तरह आक्सीजन भी हमारे लिए सबसे जरूरी चीज है। यदि हमारे आसपास पेड़-पौधों की कमी रहेगी तो शुद्ध हवा​ कैसे मिलेगी।  जीवन सही-सलामत रहेगा, तभी दाल-रोटी की जरूरत पड़ेगी।

सैकड़ो प्राइमरी स्कूल में कर चुके हैं वृक्षारोपण 

बहरहाल, वह अपनी मुहीम को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। सिर्फ जौनपुर में ही नहीं, बल्कि सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज और अयोध्या में भी वृक्षारोपण का काम किया। अरुण सिंह कहते हैं कि काम को लेकर जिस जगह पर जाता हूं। वहां भी वृक्षारोपण करता हूॅं। अयोध्याा जिले के सैकड़ों प्राथमिक विद्यालयों में भी वृक्षारोपण का काम किया। वह लोगों को पीपल और पाकड़ के पौधे भी वृक्षारोपण के लिए देते हैं। बहुत से लोगों ने उनसे कहा कि वृक्ष लगाना पर्यावरण विभाग का काम है। सरकार का काम आप क्यों कर रहे हैं? अरुण सिंह कहते हैं कि प्रकृति ने हमें अनमोल जीवन दिया है। समृद्ध संसार दिया है। हमें भी प्रकृति को वही समृद्धि रिटर्न करनी चाहिए। सोसाइटी से हमें जो प्राप्त हुआ है। उसे किसी ने किसी रूप में वापस करना चाहिए। आने वाली पीढ़ी के लिए वृक्षारोपण एक अनमोल गिफ्ट है। 

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