उदय सिंह की इंस्पिरेशनल स्‍टोरी: ऑटो में 'नो-फेयर', लाइब्रेरी-नाश्ते का इंतजाम, सफर बनाते हैं यादगार

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 29, 2023, 8:09 PM IST

गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले उदय सिंह जाधव वर्षों से फ्री ऑटो चलाकर यात्रियों को सफर यादगार बना रहे हैं। एक एनजीओ से प्रेरणा मिली और 14 साल पहले गिफ्ट इकानमी की तर्ज पर ऑटो चलाना शुरु कर दिया।

अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले उदय सिंह जाधव वर्षों से फ्री ऑटो चलाकर यात्रियों को सफर यादगार बना रहे हैं। एक एनजीओ से प्रेरणा मिली और 14 साल पहले गिफ्ट इकानमी की तर्ज पर ऑटो चलाना शुरु कर दिया। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए उदय सिंह जाधव कहते हैं कि ऑटो में लाइब्रेरी है। पैसेंजर को पानी की बोतल देता हूं। नाश्ता रखता हूं। विदेशी मेहमानों को टूर कराता हूं। गाइड भी करता हूं। ताकि वह अच्छी भावना लेकर अपने देश जाएं। 

संघर्ष में गुजरा बचपन

उदय सिंह जाधव का बचपन संघर्ष में गुजरा। उनके पिता खुद ऑटो ड्राइवर थे। परिवार में 2 भाई और 6 बहने थीं। ऐसे में एक ऑटो चलाकर पिता इतने बड़े परिवार का गुजारा कैसे कर सकते थे। परिवार की मदद करने के लिए उदय सिंह पढ़ाई बीच में ही छोड़कर गैराज में काम करने लगे और तीन साल तक काम किया। 

 

एनजीओ से प्रेरणा मिली तो शुरु कर दिया फ्री ऑटो चलाना

उदय सिंह जाधव के भाई भी ऑटो चलाने लगें तो उन्होंने भी भाई से ऑटो चलाना सीखा। कई साल तक ऑटो चलाने के साथ एक डॉक्टर के साथ काम किया। उसी दरम्यान उदय सिंह को एक एनजीओ के बारे में जानकारी हुई, उसके काम से प्रभावित हुए। सोचा कि मुझे भी कुछ करना चाहिए। दो से तीन साल वालंटियर के रूप में काम किया। उदय​ सिंह कहते हैं कि जीवन में पैसा सर्वस्व नहीं, प्रेम भाव जरुरी है। उसके लिए स्लोगन बनाया 'लव आल' और फ्री में ऑटो चलाना शुरु कर दिया।

 

घर वाले कहते थे पागल

यह काम शुरु करना भी आसान नहीं था। वह गांधी टोपी पहनकर घर से निकलते थे। तब घर वाले उन्हें पागल बोलते थे कि गांधी टोपी पहनने से घर नहीं चलता है। उदय सिंह जाधव कहते हैं कि उन्हें आत्मविश्वास था कि सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए चलना है। अपनी धुन के पक्के उदय सिंह ने परिवार को समझाया और समय के साथ अच्छा रिस्पांस मिला। अब परिवार खुश है। पत्नी खुद सवारियों के लिए नाश्ता बनाती हैं।

पैसेंजर से नहीं लेते किराया

अनोखी बात यह है कि उदय सिंह जाधव किसी भी पैसेंजर से किराया नहीं लेते हैं। बस उसे एक बॉक्स देते हैं, उस पर लिखा है दिल से भुगतान करें। मतलब जिसका जो दिल करे, वह पेमेंट करे। चाहे कोई 5 रुपये दे या 50 रुपये। वह किसी से किराए के लिए नहीं कहते हैं। यह काम वह वर्षों से कर रहे हैं और आगे भी निस्वार्थ भाव से जारी रखना चाहते हैं। 'अहमदाबाद नो ऑटोरिक्शालो' के नाम से मशहूर उदय सिंह जाधव कहते हैं कि मैं लोगों को यह संदेश देना चाहता हूं कि लव ऑल यानी सबके लिए प्रेम। जीवन में प्रेम बहुत जरुरी है। इंसान को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।    

 

मुरारी बापू से लेकर अमिताभ बच्चन तक बैठे ऑटो में

उदय​ सिंह जाधव के ऑटो में सेलिब्रिटी भी बैठ चुके हैं। चाहे वह मुरारी बापू हों या अमिताभ बच्चन सबने उनके काम की तारीफ की है। अजय देवगन, आशा पारेख, काजोल, परेश रावल भी उनके ऑटो का आनन्द ले चुके हैं। अब, उदय सिंह के काम को देखते हुए कई स्कूलों में उन्हें अपने विचारों को शेयर करने के लिए भी बुलाया जाता है।

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