शादी के 4 साल बाद पति दिव्यांग, रोजी-रोटी का संकट...भूखे पेट सोए, इन छोटे-छोटे कामों से संभाला परिवार

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Aug 6, 2024, 4:03 PM IST
Highlights

बिहार की अजमेरी खातून ने पति के दिव्यांग होने के बाद रोजी-रोटी की चुनौतियों का सामना किया। छोटे-छोटे बिजनेस जैसे सिलाई, श्रृंगार की फेरी, किराना दुकान और बकरी पालन कर परिवार को संभाला।

पटना। बिहार के सिवान जिले के हरिहरपुर कला गांव की रहने वाली अजमेरी खातून की साल 2016 में शादी हुई थी। शादी के 4 साल बाद पति सलाउद्दीन को पैरालिसिस हो गया, एक पैर से दिव्यांग हो गए। काम करने में भी असमर्थ थे। नतीजतन, परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। ऐसे समय में अजमेरी ने हिम्मत से काम लिया। कपड़ों की सिलाई से लेकर श्रृंगार के सामान बेचना शुरू कर दिया। अब तब एक लाख से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की है। ग्रामीण क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव होने के बावजूद वह कैसे आगे बढ़ीं। आइए जानते हैं उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी।

खेत में मजदूरी और घरों में काम करके चलाया परिवार

अजमेरी खातून के परिवार में पति-पत्नी के अलावा तीन बच्चे और सास-ससुर भी हैं। पति के दिव्यांग होने के बाद कमाई का स्रोत बंद हो गया तो अजमेरी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह घर कैसे चलाए। खेत में मजदूरी या घरों में काम करके बड़ी मुश्किल से परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त हो पा रहा था। खेती की जमीन के नाम पर कुछ भी नहीं था और न ही रहने के लिए अच्छा घर। हालात इतने खराब थे कि कभी-कभी परिवार को रात में भूखे पेट ही सोना पड़ता था। 

सिलाई मशीन और श्रृंगार की फेरी से होने लगी कमाई

अजमेरी खातून परिवार चलाने के लिए रास्तों की तलाश में थी। उसी दरम्यान साल 2020 में सतत जीविकोपार्जन योजना में उनका चयन हो गया। उन्हें 20 हजार रुपये का श्रृंगार का सामान मिला और सात महीने तक सहायता। यह सपोर्ट मिलने के बाद अजमेरी खातून ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। श्रृंगार की फेरी का काम शुरू कर दिया। कुछ पैसों की बचत कर सिलाई मशीन परचेज की और अपने दिव्यांग पति को सिलाई का काम सिखा दिया। फिर पति-पत्नी दोनों मिलकर कमाई करने लगे।

अब किराना की दुकान भी, 10 से 12 हजार महीने की आमदनी

कुछ दिनों बाद जब थोड़ा और पैसा इकट्ठा हुआ तो अजमेरी खातून ने अपने दरवाजे पर एक किराना की दुकान खोल दी। पति किराना की दुकान भी संभाल लेते हैं। 4 बकरियां भी खरीदीं। जिनकी संख्या बढ़कर अब 11 हो गई है। मतलब अब वह पूरे परिवार के साथ श्रृंगार की फेरी, किराना दुकान, सिलाई मशीन और बकरी पालन का काम एक साथ कर रही हैं। इन्हीं छोटे-छोटे बिजनेस की बदौलत दो कमरे का एक छोटा सा घर भी बनवाया और बच्चों के लिए साइकिल भी खरीदी। महीने की आमदनी 10 से 12 हजार रुपये हो गई है। उनका सपना भविष्य में अपने पति के लिए किराना की होलसेल दुकान खोलना है। 

ये भी पढें-UPSC Success Story: तीन फेलियर के बाद मान ली थी हार, एक अनजान शख्स की ये सलाह आई काम, चौथे अटेम्पट म...

click me!