2020 में रियल एस्टेट टायकून केपी सिंह (Kushal Pal Singh Story) ने DLF का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। रियल एस्टेट फर्म में अपनी शेष हिस्सेदारी भी बेचकर 89 मिलियन डॉलर जुटाएं। फोर्ब्स के मुताबिक, इस पैसे का यूज धर्मार्थ कार्यों में होगा।
नयी दिल्ली। आज हम उस दिग्गज भारतीय बिजनेसमैन की बात कर रहे हैं, जिन्होंने दिल खोल कर दान किया है और एशिया के बड़े दानदाताओं में शामिल हो गए। फोर्ब्स (Forbes) ने उन्हें एशिया हीरोज ऑफ फिलैंथ्रॉपी लिस्ट (Asia Heroes of Philanthropy List) के 17वें एडीशन में शामिल किया है। हम बात कर रहे हैं डीएलएफ (DLF) के एमेरिट्स (मानद) चेयरमैन केपी सिंह (DLF के पूर्व अध्यक्ष कुशल पाल सिंह) की। खास यह है कि इस लिस्ट में निजी स्वामित्व वाली कम्पनियों को छोड़कर CSR (कारपोरेट परोपकारी) शामिल नही हैं।
रियल एस्टेट फर्म में अपनी हिस्सेदारी बेचकर जुटाएं 89 मिलियन डॉलर
साल 2020 में रियल एस्टेट टायकून केपी सिंह (Kushal Pal Singh Story) ने DLF का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था और रियल एस्टेट फर्म में अपनी शेष हिस्सेदारी भी बेच दी थी और 89 मिलियन डॉलर जुटाएं। फोर्ब्स के मुताबिक, इस धनराशि का उपयोग धर्मार्थ कार्यों में उन ट्रस्ट के माध्यम से होगा। जिनको साल 2020 में लॉन्च किया गया था। उनमें के.पी. सिंह फाउंडेशन ट्रस्ट और के.पी. सिंह चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 92 वर्षीय केपी सिंह की कुल संपत्ति 14.3 अरब डॉलर है। अब वह अपना ज्यादातर समय दुबई और लंदन के बीच बिता रहे हैं। उन्हें डीएलएफ की तरक्की और गुड़गांव को Technology Center के हब के रूप में डेवपल करने का श्रेय दिया जाता है।
आर्मी में नौकरी, फिर ससुर की कम्पनी संभाली
कुशलपाल सिंह का जन्म यूपी के बुलंदशहर में साल 1931 में एक फेमस वकील चौधरी मुख्तार सिंह के घर हुआ था। मेरठ से साइंस में ग्रेजुएशन किया। यूके से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। फिर ब्रिटिश ऑफिसर सर्विस सिलेक्शन बोर्ड के माध्यम से उनका भारतीय आर्मी में शामिल हुए। कुल वर्षों तक नौकरी की। साल 1961 में आर्मी की नौकरी छोड़ी और अपने ससुर की कंपनी डीएलएफ लिमिटेड में काम करना शुरु कर दिया।
2008 में दुनिया के टॉप 10 अमीर लोगों की सूची में
आपको बता दें कि साल 1946 में डीएलएफ लिमिटेड की शुरुआत हुई थी। केपी सिंह ने पहले साल 1960 में अमेरिकन यूनिवर्सल इलेक्ट्रिक के साथ काम शुरु किया था। पर साल 1979 में उसका विलय डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड में हो गया। फिर कुशल पाल सिंह कंपनी के एमडी बने और कम्पनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। साल 2008 में फ़ोर्ब्स ने उन्हें दुनिया के अमीर व्यक्तियों की टॉप 10 लिस्ट में स्थान दिया था।
2020 में डीएलएफ के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
केपी सिंह ने किसानों से बड़े पैमाने पर जमीने खरीदी। डीएलएफ सिटी बनवाई। डीएलएफ ने साल 2017 में जीआईसी, सिंगापुर को किराए के कारोबार का तीसरा हिस्सा 1.9 बिलियन डॉलर में बेचा। पचास साल तक कम्पनी के चेयरमैन रहने के बाद साल 2020 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अब उनके बेटे राजीव कम्पनी का काम देखते हैं।