कहते हैं इंसान को उसके हालात सब कुछ सिखा देते हैं। देश की पहली नाई शांताबाई नहीं कभी नहीं सोचा था कि उन्हें घर संभालने के लिए मर्दों वाले काम भी करने होंगे। लेकिन पति की मौत के बाद उन्होंने लोगों के दाढ़ी बाल काटने शुरू की है जो 48 साल पहले पुरुषों का व्यवसाय माना जाता था किसी काम से शांताबाई ने अपनी चार बेटियों की परवरिश किया, उनकी शादी किया और आज भी अपना यह काम पूरी लगन के साथ कर रही हैं।
मुंबई। आज महिलाएं हर क्षेत्र में बड़े-बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। बेहतरीन तरीके से घर भी संभाल रही है और बिजनेस और सर्विस में अपना योगदान भी दे रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब से 48 साल पहले एक महिला ने अपने परिवार को जीवन यापन करने के लिए उसे व्यवसाय में कदम रखा था जिसे पुरुष प्रधान करते हैं। इस महिला का नाम है शांताबाई और यह देश की पहली महिला नाई हैं।
कौन है शांताबाई
शांताबाई के पिता एक नाई थे। 12 साल की उम्र में उनकी शादी श्रीपति से हो गई। श्रीपति भी नाई का ही काम करते थे। श्री पति अपने 4 भाइयों के साथ 3 एकड़ जमीन में खेती करते थे लेकिन खेती से घर का गुजारा होना मुश्किल था। इसी दौरान जायदाद का बंटवारा हुआ, ज़मीन का हिस्सा कम था। अब श्रीपति के लिए जीवन यापन और भी मुश्किल हो गया, इसलिए उन्होंने आसपास के गांव में जाकर नाई का काम करना शुरू किया। मेहनत के बावजूद अच्छी आमदनी नहीं हो रही थी, इसलिए श्रीपति कर्जदार हो गए।
पति की मौत के बाद शांताबाई ने पकड़ा उस्तरा
शादी के बाद शांताबाई ने 6 बेटियों को जन्म दिया। दो की बचपन में ही मृत्यु हो गई 1984 में जब शांता की बड़ी बेटी 8 साल की थी, तब दिल का दौरा पड़ने से पति का देहांत हो गया। शांताबाई ने दूसरे के खेतों में काम करना शुरू किया लेकिन 8 घंटे काम करने का 50 पैसा मिलता था। घर का खर्च और चार बेटियों को 2 वक्त की रोटी खिलाना मुश्किल हो रहा था। रोज घर के हालात खराब हो रहे थे। एक ऐसा वक्त आया जब शांताबाई ने अपनी बेटियों के साथ आत्महत्या करने की सोची लेकिन तभी गांव के सभापति ने उन्हें पति का काम संभालने की सलाह दी। उस समय आसपास के गांव में कोई नाई नहीं था। शांताबाई ने पति का उस्तरा उठाया और गांव-गांव घूमकर हजामत करने लगी।
इंसान के साथ जानवर का भी बाल काटना शुरू किया
शांताबाई ने इंसान के साथ-साथ जानवरों का भी बाल काटना शुरू किया। एक रुपए में वह इंसान के दाढ़ी बाल काटती थी, जबकि जानवरों के बाल काटने का वह 5 रु. लेती थीं। इस काम से शांताबाई ने अपनी चार बेटियों की शादी धूमधाम से की। 1985 में इंदिरा गांधी आवास योजना के अंतर्गत शांताबाई को सरकार की तरफ से घर बनाने का पैसा भी मिला। गांव में ही शांताबाई ने अपना एक सलून भी बना लिया था।
अब शांताबाई के पास ग्राहक खुद आते हैं...
शांताबाई की उम्र 78 साल हो चुकी है। अब वह घूम-घूमकर हजामत नहीं कर पाती हैं। ग्राहक उनके शॉप पर स्वयं आते हैं। दाढ़ी-कटिंग का वो 50 रु. लेती हैं वहीं, जानवरों के बाल काटने का वो 100 रु. लेती हैं। इस तरह महीने में आराम से वो 10000 रुपए कमा लेती हैं।
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