Interview: थ्री ईडियट्स का रैंचो ये लड़का! अंडमान निकोबार में चलाते हैं इनोवेटिव स्कूल, 50 से ज्यादा इनोवेशन

बॉलीवुड एक्टर आमिर खान अभिनीत थ्री इडिएट मूवी के किरदार रैंचो से आप परिचित होंगे। अंडमान निकोबार के दीपांकर दास रियल लाइफ में ठीक वैसा ही किरदार निभा रहे हैं। गरीब बच्चों की स्किल डेवलपमेंट में मदद कर रहे हैं।

अंडमान निकोबार आइलैंड के दीपांकर दास का बचपन से ही इनोवेशन में मन लगता था। खुद का स्कूल खोलने की तमन्ना थी। सितम्बर 2023 में अंडमान फर्स्ट ब्रदर इनोवेटिव स्कूल (Andaman First brother innovative school) की शुरुआत की। किसानों के लिए 50 से ज्यादा इनोवेशन कर चुके हैं, ऐसी मशीने बनाई हैं जो खेती-किसानी के लिए उपयोग की जाने वाली महंगी मशीनों की जगह यूज की जा सकती है। उन्होंने माय नेशन हिंदी से अपनी जर्नी शेयर की है।

5वीं क्लास से ही इनोवेशन 

दीपांकर दास अंडमान निकोबार आइलैंड के दिगलीपुर नॉर्थ एरिया में रहते हैं। यह ग्रामीण इलाका है। ज्यादातर लोग मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। उनके पैरेंट्स भी मजदूरी का काम करते हैं। ऐसे माहौल में जन्मे दीपांकर की ​रूचि बचपन से ही इनोवेशन में थी। वह खेती किसानी के काम को सरल तरीके से करने के लिए कुछ न कुछ जुगाड़ बनाया करते थे। 5वीं क्लास ही उनका इनोवेशन शुरु हो गया था। 

2015 में मिला पहला अवार्ड
 
दीपांकर कहते हैं कि मेरी इच्छा थी कि मैं अपना स्कूल शुरु करुं। बचपन से ही बच्चों को नयी-नयी चीजें सिखाता था। खुद इनोवेशन करता था। गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दिगलीपुर से पढ़ाई पूरी की। साल 2015 में इनोवेशन के लिए पहला अवार्ड मिला। उन्होंने Solar Powered Threshing मशीन बनाई। इस आविष्कार के लिए नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड मिला। पेटेंट भी मिला है। 

 

इंजीनियरिंग के बाद लौटे अंडमान निकोबार

दीपांकर कहते हैं कि परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी कि साइंस से पढ़ाई कर सकूं। इसलिए स्कूली पढ़ाई के बाद आईटीआई किया और फिर गुजरात के अहमदाबाद के एक कॉलेज से 2022 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। गुजरात में दो साल काम किया। वहां काफी अनुभव मिला। फिर मैंने सोचा कि इतना कुछ कर रहा हूॅं, तो मेरी जिम्मेदारी बनती है कि अपने आईलैंड के लिए कुछ करूं। यह सोचकर साल 2023 में अंडमान निकोबार लौटा। 

सरकारी अधिकारियों का नहीं मिला सपोर्ट

दीपांकर को लगा कि आईलैंड पर उसे बच्चों को पढ़ाने का काम मिल सकता है। वह कहते हैं कि यही सोचकर शिक्षा विभाग से जुड़े सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की। यहां तक कहा कि मुझे ज्यादा नहीं बस इतनी सैलरी चाहिए कि खुद और अपने मम्मी-पापा को तीन टाइम का खाना खिला सकूं। बस मैंने जो सीखा है, वही सभी बच्चों को देना चाहता हूॅं। अधिकारियों ने हाथ खड़े कर लिए और जॉब देने से साफ इंकार कर दिया तो उनका दिल  टूट गया।

घर के बरामदे से ही शुरु कर दिया स्कूल

दीपांकर कहते हैं कि फिर मैंने सोचा कि छोटा ही सही अपना स्कूल शुरु किया जाए। पिछले साल सितम्बर महीने में घर के बरामदे से ही इनोवेटिव स्कूल शुरु किया। अभी 20 से ज्यादा बच्चे हैं। सभी बच्चे गरीब परिवार से आते हैं। हर संडे या छुट्टियों के दिन क्लासेज चलती हैं। हैंडमेड क्राफ्ट और इनोवेशन की दो—दो क्लास चलती हैं। अंडमान की ट्रेडिशनल दवाईयों की नॉलेज बच्चों को दी जाती है। कभी कभी मोटिवेशनल स्पीकर या इनोवेटर्स की भी आनलाइन क्लासेज कराते हैं।

 

क्या-क्या सिखाते हैं स्कूल में?

अंडमान फर्स्ट ब्रदर इनोवेटिव स्कूल में हैंडमेड क्राफ्ट जैसे-नारियल के खोल और बांस से प्रोडक्ट बनाने के अलावा उसे कैसे बिक्री के योग्य बनाया जा सकता है, इस बारे में भी बताया जाता है। घर में पड़ी टूटी-फूटी चीजों को रिसायकल कर नया प्रोडक्ट कैसे बनाया जा सकता है। 12वीं क्लास तक के बच्चे, कॉलेज ड्राप आउट और महिलाओं को भी ट्रेनिंग कराई जाती है। दीपांकर कहते हैं कि द्वीप पर एक छोटी सी शॉप पर क्राफ्ट आइटम बेचे जा सकते हैं। वह खेत में बीज बोने की मशीन, वॉटर पॉट कैरियर, एयर फिल्टर मॉस्क, सोलर पल्स थ्रेसर समेत 50 से ज्यादा इनोवेशन कर चुके हैं।

साल 2015 और 2019 में राष्ट्रपति पुरस्कार

दीपांकर को इनोवेशन के लिए दो बार साल 2015 और 2019 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2015 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट अवार्ड मिला। गुजरात की तत्कालीन सीएम आनंदीबेन पटेल ने उन्हें धन्यवाद पत्र लिखा। इंडोनेशिया में आयोजित आसियान-भारत ग्रास रूट्स इनोवेशन 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व किया, आल ओवर एशियन कंट्री में सेकेंड रैंक हासिल की। साल 2021 में अंडमान निकोबार के लेफ्टिनेंट गवर्नर डीके जोशी ने भी उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

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