लीक से हटकर: घर के जूसर से बनाई रोजगार की राह, फाइनेंशियल क्राइसिस से ताने तक झेलें, ये Idea कर गया काम

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Mar 2, 2024, 9:33 PM IST

लीक से हटकर काम शुरु किया तो लोगों ने टोका। परिवार भी खुश नहीं था। पड़ोसी भी शिकायत करते थे। जानें घर के जूसर से काम शुरु करने वाले उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित हजरतगंज निवासी विनय देवराज चौधरी की इंस्पिरेशन स्टोरी।

लखनऊ। लखनऊ के गोमतीनगर स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क के गेट पर अलसुबह एक युवक मुस्कुराता हुआ लोगों को हर्बल जूस पिला रहा है। सामान्य से स्टाल पर अलग-अलग बर्तनों में नीम, जामुन, बबूल, चिरैता, आंवला, नींबू पानी है। ये स्टाल पतंजलि या किसी नामी गिरामी कम्पनी का नहीं बल्कि हजरतंगज के रहने वाले विनय देवराज चौधरी का स्टार्टअप है। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए वह कहते हैं कि पढ़ाई करते-करते हेल्थ सेक्टर के बारे में पता चला। इस बारे में पूरी जानकारी के बाद अप्रैल 2018 में पहला स्टॉल लगाया।

पहले जो हंसते थे, अब इंज्वाय करते हैं जूस

विनय देवराज ने जब यह काम शुरू किया था। उस समय उनके पास सीमित संसाधन थे। वह कहते हैं कि आमतौर पर घरों में जूसर होता है। मैंने भी अपने घर की जूसर मशीन से ही काम शुरु किया। सुबह 4 बजे से काम की शुरुआत होती थी। तब परिवार के लोग कहते थे कि तुम सुबह-सुबह उठकर परेशान करते हो। आवाज डिस्टर्ब करती है। पड़ोसी भी शिकायत करते हुए सवाल खड़े करते थे कि तुम करते क्या हो? दोस्तों ने यहां तक कहना शुरु कर दिया कि ये क्या कर रहे हो? वह मुझ पर हंसते थे। पर अब वही दोस्त मेरा जूस इंज्वाय करते हैं।

10 रुपये में पिलाना शुरु किया हर्बल जूस

विनय देवराज चौधरी कहते हैं कि शुरुआत में आर्थिक दिक्कतों की वजह से काफी परेशानी होती थी। एक किताब में पढ़ा था कि लोग अच्छा खाना और अच्छा पहनना पसंद करते हैं तो मैंने सोचा कि सेहतमंद जूस तो लोगों को उपलब्ध ही करा सकते हैं। पहले घर पर हर्बल जूस बनाकर पीया। फिर आंवला और ऐलोवेरा के जूस के साथ शुरुआत की। सिर्फ 10 रूपये में लोगों को हर्बल जूस पिलाना शुरु किया। अब हमारे शहर में 4 स्टॉल लगते हैं। लोगों को नीम, बबूल और जामुन के बीज का जूस, चिरैता, आंवला, नीम का जूस, गिलोय, अश्वगंधा, सहजन, तुलसी, अर्जुन की छाल जैसे हर्ब्स के अलग-अलग जूस पिलाते हैं। हर दो दिन पर वैरायटी बदलते हैं। हमारे पास मानकों से जुड़े जरूरी सर्टिफिकेट भी है।

लोगों को हेल्थ के प्रति अवेयर करना विजन

देव नारायण चौधरी मीडिल क्लास फैमिली से आते हैं। मम्मी-पापा ज्यादा पढ़े लिखे नही हैं। खुद 12वीं तक पढ़ाई के बाद रोजगार के अवसर की तलाश में थे। शहर के एक कॉलेज से बीबीए किया। फिर डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री से जुड़े। उसी दरम्यान हेल्थ सेक्टर के बारे में जानकारी हुई। वह कहते हैं कि तब समझ में आया कि दो से चार साल में बहुत से लोगों को हेल्थ से जुड़े प्रोडक्ट की जरूरत पड़ेगी। पर तब उनके पास अपने हेल्थ को बेहतर करने का समय नहीं रहेगा। मेरा विजन लोगों को हेल्थ के प्रति अवेयर करना था। यह जानकारी देना था कि आयुर्वेद लोगों को निरोगी रख सकता है। दिमाग में यही चल रहा था। इसीलिए हेल्थ सेक्टर से जुड़ी चीजों के बारे में पढ़ाई शुरु कर दी और वही आगे चलकर मेरा कॅरिअर बन गया।

ये भी पढें-कभी भैंस चराती थी ये लड़की-पिता दिव्यांग, अब एक करोड़ के कारोबार की मालकिन, हिम्मत देने वाली है ये कहानी

click me!