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कभी भैंस चराती थी ये लड़की-पिता दिव्यांग, अब एक करोड़ के कारोबार की मालकिन, हिम्मत देने वाली है ये कहानी

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Mar 01, 2024, 11:33 AM ISTUpdated : Mar 01, 2024, 11:34 AM IST
कभी भैंस चराती थी ये लड़की-पिता दिव्यांग, अब एक करोड़ के कारोबार की मालकिन, हिम्मत देने वाली है ये कहानी

सार

Success Story: छोटी उम्र में ही दिव्यांग पिता की काम में मदद की। धीरे-धीरे काम सीखा। मार्केट के उतार-चढ़ाव समझे। अब 24 साल की उम्र में एक करोड़ के कारोबार की मालकिन हैं  महाराष्ट्र के श्रद्धा की ये कहानी हिम्मत देने वाली है।

अहमदनगर (महाराष्ट्र): खेलने-कूदने की उम्र में श्रद्धा धवन ने अपने दिव्यांग पिता सत्यवान की दुश्वारियों को देखा। काम में उनका हाथ बंटाने लगी। दस से बारह साल की उम्र में भैंस चराने से लेकर दूध निकालने तक काम करने लगीं। आसपास की डेयरियों में दूध पहुंचाने का काम हो या फिर भैंस खरीदने-बेचने का काम। वह अपने पिता के साथ हर कदम पर साथ रहीं। उसी दौरान काम की बारीकियों को सीखा। अब श्रद्धा फार्म की मालकिन हैं। कभी सिर्फ एक भैंस थी। अब 80 से अधिक भैंसे हैं। एक करोड़ के बिजनेस की मालकिन हैं।

एक भैंस से 80 जानवरों तक, दो मंजिला शेड बनाया

श्रद्धा धवन कहती हैं कि हमारा दूध का पुश्तैनी कारोबार है। पशुओं का व्यापार करने वाले पिता के पास 35 साल के काम का अनुभव है। अब 80 से अधिक भैंसे हैं। पर इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था। डेयरी फॉर्मिंग में तमाम दिक्कते आईं। धीरे-धीरे संघर्षों से सीखकर आगे बढ़ें। पिता के साथ जानवरों को खरीदने-बेचने के सफर में साथ रही। इस बिजनेस की पूरी जानकारी ली। अब जानवरों के लिए दो मंजिला शेड है। लोन पर निर्भर नही रहें। दूध की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया। 

 

वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन में भी आगे

श्रद्धा ने अपने कौशल से संसाधनों का उपयोग कर एक सफल बिजनेस मॉडल खड़ा किया। वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन में आगे बढ़ी। जैविक खाद उत्पादन में उनकी गौशाला महाराष्ट्र में प्रथम स्थान पर रही। गौशाला के जरिए हर महीने 30,000 किलोग्राम से ज्यादा खाद का उत्पादन होता है। बायोगैस प्लांट लगाकर अपने फार्म में जीरो वेस्ट मैनेजमेंट का सफल प्रयोग किया। खर्चों को मैनेज करने के लिए कम कीमत पर चारा खरीदती हैं। भैंसों को खरीदने-बेचने के काम में भी जमीनी स्तर के व्यापारियों पर नजर रखती हैं, जो कम कीमत में जानवर बेचते हैं। 

डेयरी फॉर्मिंग के बारे में ट्रेनिंग भी

24 साल की श्रद्धा धवन ने एमएससी की है। अपने फार्म पर वह लोगों को डेयरी फॉर्मिंग के बारे में एजूकेट भी करती हैं। लोगों से अपने अनुभव शेयर करती हैं। इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित होते हैं। डेयरी फॉर्मिंग में रूचि रखने वालों को ऑनलाइन और ऑफ़लाइन बिजनेस के गुर सिखाती हैं। 5 दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण, 2 दिवसीय ऑफ़लाइन प्रशिक्षण, 1 दिवसीय वर्मीकम्पोस्टिंग उत्पादन प्रक्रिया प्रशिक्षण जैसे प्रोग्राम भी चलाती हैं। डेयरी, जैविक खाद, बायोगैस प्लांट के साथ ट्रेनिंग प्रोग्राम जोड़कर श्रद्धा ने अपने मुनाफा बढ़ाया। आय के अवसर जोड़े। 

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