Success Story: कभी स्कूल तक पहुंचना था मुश्किल, अब लंदन में पढ़ाई! कैसे बदली गांव की आदिवासी लड़की की किस्मत?

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Mar 05, 2025, 09:25 AM ISTUpdated : Mar 05, 2025, 10:03 AM IST
Success Story: कभी स्कूल तक पहुंचना था मुश्किल, अब लंदन में पढ़ाई! कैसे बदली गांव की आदिवासी लड़की की किस्मत?

सार

महाराष्ट्र के चंद्रपुर की आदिवासी लड़की प्रिया तड़म ने तमाम कठिनाइयों के बावजूद लंदन से एलएलएम करने के लिए महाराष्ट्र सरकार से 37.61 लाख रुपये की छात्रवृत्ति हासिल की। जानें उनके संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी।

 

Success Story: चंद्रपुर जिले के छोटे से गांव भानापुर की रहने वाली 24 वर्षीय आदिवासी लड़की प्रिया यशवंत तड़म ने अपने सपनों को साकार करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया। उनका सपना था कि वे लंदन जाकर एलएलएम की पढ़ाई करें, और अब यह सपना पूरा होने के करीब है। महाराष्ट्र सरकार से उन्हें 37.61 लाख रुपये की छात्रवृत्ति मिली है, जिससे वे अपने उच्च शिक्षा के सपने को साकार कर सकेंगी।

प्रिया यशवंत तड़म  की प्रारंभिक शिक्षा और संघर्ष
भानापुर गांव, जो हरे-भरे जंगलों के बीच बसा है और जहाँ केवल 40 परिवार निवास करते हैं, वहां कोई स्कूल नहीं था। प्रिया और उनकी छोटी बहन शिवानी को साओली तहसील के असोलामेंधा गाँव के प्राथमिक विद्यालय तक पैदल जाना पड़ता था, जो लगभग दो किलोमीटर दूर था। उनके पिता यशवंत तड़म, जो एक सीमांत किसान हैं, ने अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की।

BA-LLB कर चुकी है प्रिया यशवंत
मैट्रिक की पढ़ाई के लिए प्रिया को गढ़चिरौली भेजा गया, जहां उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने नागपुर के डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर कॉलेज ऑफ लॉ से बीए-एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। नागपुर में अपनी पढ़ाई के दौरान, उन्होंने जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय में अधिवक्ता सचिन ज़ोटिंग के अधीन इंटर्नशिप की।

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लंदन LLM का सफर और छात्रवृत्ति संघर्ष
नागपुर के दिनेश शेरम की मदद से प्रिया को लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने में सहायता मिली। वहीं, उमेश उइके ने उनके एजूकेशनल डाक्यूमेंट की प्रक्रिया को तेज करवाने में मदद की।

खत्म हो गई है क्वीन मैरी विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट 
हालांकि, छात्रवृत्ति मिलने में कई अड़चनें आईं। 9 अक्टूबर को क्वीन मैरी विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट थी, लेकिन महाराष्ट्र आदिवासी विकास विभाग ने छात्रवृत्ति को मंजूरी नहीं दी थी। विश्वविद्यालय से समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध करने के बावजूद, उनकी छात्रवृत्ति प्रक्रिया अधर में लटकी हुई थी।

मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के हस्तक्षेप के बाद मिली सफलता
जब स्थिति गंभीर हुई, तो चंद्रपुर के संरक्षक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने मामले में हस्तक्षेप किया। वडेट्टीवार ने उन्हें सीधे मुख्यमंत्री से मिलवाया और मुख्यमंत्री ने तत्काल बैठक आयोजित कर छात्रवृत्ति प्रस्ताव को मंजूरी देने के निर्देश दिए। लंदन दौरे पर गए मंत्री मुनगंटीवार ने भी अपने OSD को इस मामले में तेजी लाने के लिए कहा और उसी दिन प्रिया को 37.61 लाख रुपये की छात्रवृत्ति का स्वीकृति पत्र जारी कर दिया गया।

परिवार का समर्थन और समर्पण
प्रिया ने अपने परिवार के त्याग को इस सफलता की नींव बताया। उनके पिता ने वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद उनकी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया। उनकी बहन, जो एक निजी कंपनी में इंजीनियर थीं, ने उनकी प्रवेश प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी।

अब प्रिया के लिए क्या है आगे का ऑप्शन?
प्रिया अब वीज़ा मिलने का इंतजार कर रही हैं और उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में वे लंदन के लिए उड़ान भर सकेंगी। उनकी इस प्रेरणादायक कहानी ने यह साबित कर दिया कि अगर मेहनत, संघर्ष और सही समर्थन मिले, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता। प्रिया तड़म की यह कहानी उन हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखती हैं। यह कहानी बताती है कि सही मार्गदर्शन और दृढ़ संकल्प से हर बाधा को पार किया जा सकता है।

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