Success Story: कॉर्पोरेट करियर छोड़कर जीतेंद्र मान और उनकी पत्नी सरला ने हरियाणा में जैविक मोरिंगा फार्म की स्थापना की, जिससे वे हर महीने 3.5 लाख रुपये कमा रहे हैं। जानिए उनकी सफलता की कहानी।
Success Story: शहरी जीवन की भागदौड़ और कॉर्पोरेट दुनिया के तनाव को छोड़कर, जीतेंद्र मान और उनकी पत्नी सरला ने हरियाणा में एक सफल जैविक मोरिंगा फार्म की स्थापना की। इस फार्म से न केवल उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है, बल्कि वे एक स्वस्थ जीवन भी जी रहे हैं।
चेन्नई, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में 20 साल से अधिक समय बिताने के बाद, जीतेंद्र मान ने देखा कि जीवनशैली संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही थीं। थायराइड और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं आम हो गई थीं, और खुद जीतेंद्र भी इनसे परेशान थे। वे बताते हैं, "शुरुआती 40 के दशक में मेरे जोड़ों में दर्द और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ गई थी। इसने मुझे अपनी जीवनशैली पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर दिया।" आखिरकार, उन्होंने शहरी जीवन से दूर जाकर जैविक खेती करने का फैसला किया। वे और उनकी पत्नी सरला हरियाणा के अपने गांव लौट आए और मोरिंगा की खेती शुरू की।
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जीतेंद्र और सरला ने अपने फार्म में जैविक तरीकों से मोरिंगा उगाना शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने सिर्फ 2 एकड़ जमीन पर खेती शुरू की थी, लेकिन अब उनका फार्म 4 एकड़ तक बढ़ चुका है। वे अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके मोरिंगा पत्तियों को सुखाते और प्रोसेस करते हैं ताकि उनकी पोषण गुणवत्ता बनी रहे।
उनके मोरिंगा पाउडर की मांग दिल्ली, गुरुग्राम, बेंगलुरु और मुंबई जैसे बड़े शहरों में तेजी से बढ़ी। इस मांग ने उनकी आय को कई गुना बढ़ा दिया, और अब वे हर महीने करीब 3.5 लाख रुपये कमा रहे हैं।
सरला बताती हैं, "हम हर चरण को बेहद सावधानी से पूरा करते हैं। पत्तियों को तोड़ने के बाद उन्हें दो बार धोया जाता है और फिर सूखने के लिए बड़े पंखों और ग्रीनहाउस सेटअप में रखा जाता है, जहां तापमान नियंत्रित रहता है।" वे किसी भी तरह के रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं करते, जिससे मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है। इस टिकाऊ खेती ने उनकी फसल की गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाया।
जीतेंद्र मान बताते हैं कि मोरिंगा का सेवन उनके स्वास्थ्य के लिए चमत्कारिक साबित हुआ है। "अब मेरा रक्तचाप सामान्य रहता है, और मुझे किसी दवा की जरूरत नहीं पड़ती। शारीरिक रूप से भी मैं पहले से ज्यादा फिट हूं।"
जीतेंद्र और सरला को अपने फैसले पर गर्व है। वे कहते हैं, "गांव लौटकर खेती शुरू करना हमारे जीवन का सबसे अच्छा निर्णय था। अब हम प्रदूषण से दूर स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।" यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो शहरी जीवन के तनाव से दूर जाकर प्राकृतिक और टिकाऊ जीवनशैली अपनाना चाहते हैं। जैविक खेती सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि एक स्थायी आय स्रोत के रूप में भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।
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