Paris Paralympics 2024: चलने में मुश्किल-दौड़ में विनर, कौन हैं प्रीति पाल? मौत को हराकर...जीता ब्रॉन्ज मेडल

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Aug 30, 2024, 9:57 PM IST

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की प्रीति पाल ने महिला T35 100 मीटर इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। सेरेब्रल पाल्सी जैसी चुनौती को मात देकर प्रीति ने अपनी मेहनत और लगन से देश का नाम रोशन किया। जानिए उनकी सफलता की कहानी।

Paris Paralympics 2024 Preethi Pal Bronze Medal: भारत की प्रीति पाल ने महिला T35 100 मीटर इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। वह पैरालंपिक्स के ट्रैक इवेंट में पदक जीतने वाली  पहली भारतीय एथलीट बन गई हैं। 14.21 सेकेंड में दौड़ पूरी कर उन्होंने अपना पर्सनल रिकॉड भी तोड़ा। चीन की झू जिया और गुओ कियानकियान ने गोल्ड व सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया। 

5 साल की उम्र में चलने के लिए कैलिपर का सहारा

यूपी के मेरठ की रहने वाली प्रीति पाल की जीत इसलिए भी बहुत खास है, क्योंकि वह मौत से जंग जीतकर जिंदगी में आगे बढ़ीं। किसान परिवार में जन्म हुआ। पैदा होने के महज 6 दिन बाद ही सेरेब्रल पॉल्सी नाम की बीमारी का शिकार हो गईं। बॉडी के निचले हिस्से में प्लास्टर बांधना पड़ा। इस वजह से उनको कई बीमारियों का खतरा था। हालत यह हो गई कि 5 साल की उम्र में चलने में के लिए कैलिपर पहनना पड़ा। बॉडी को सपोर्ट देने के लिए 8 साल तक उसका यूज किया। उनके बारे में लोगों ने यहां तक कहा कि अब इनका जीवित रहना संभव नहीं है। पर यह प्रीति की हिम्मत ही थी कि वह मौत को मात देकर जिंदगी में आगे बढ़ीं।

सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेल देखकर हुईं इंस्पायर

सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेलों को देखकर प्रीति पाल इंस्पायर हुईं। उन्होंने सोचा कि जब वह लोग कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं? और यही सोचकर उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ाए। लगातार प्रैक्टिस में जुटी रहीं। फाइनेंशियल क्राइसिस और अन्य मुश्किलों को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया। इसी दौरान पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी। उन्होंने प्रीति को गाइड करना शुरू किया।

जीत चुकी हैं ये मेडल

फातिमा की मदद से एशियन पैरा गेम्स 2022 में चौथा स्थान हासिल किया। भारतीय ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियनशिप (2024) में 2 स्वर्ण पदक झटके। वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप (2024) में 2 कांस्य पदक हासिल किया। राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप (2024) में भी 2 स्वर्ण पदक मिले। हालांकि एशियन गेम्स से उन्हें निराशा ही मिली। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना पूरा ध्यान पैरालंपिक गेम्स पर लगाया। कोच गजेंद्र सिंह के साथ दिल्ली में ट्रेनिंग की शुरूआत की और अपनी कमियों को समझ कर उन्हें सुधारा। आज उनकी मेहनत और लगन सिर चढ़कर बोल रही है। 

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