कैसे फिजिक्स टीचर से बनें चाय ब्रांड मालिक? पढ़ें पूरी कहानी

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Dec 29, 2024, 2:08 PM IST

नीलेश जाधव, एक फिजिक्स टीचर से 500+ फ्रैंचाइजी आउटलेट्स वाली 'ग्रेजुएट चाय एंड लस्सी' कंपनी के मालिक बने। 50,000 रुपये में फ्रैंचाइजी देकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए। जानें उनकी अनोखी कहानी।

नई दिल्ली। चाय हर भारतीय के दिल के करीब है। इसी चाय ने महाराष्ट्र के शिरडी से ताल्लुक रखने वाले फिजिक्स टीचर नीलेश जाधव को 'चायप्रेन्योर' बना दिया। पहले वह एक कोचिंग इंस्टिट्यूट चलाते थे। लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब दुनिया थम सी गई, तब नीलेश ने चाय की दुकान खोलकर नई शुरूआत की, जो बाद में ‘ग्रेजुएट चाय एंड लस्सी’ ब्रांड में तब्दील हो गई। अब पूरे देश भर में उनके 500 से ज्यादा आउटलेट्स हैं। आइए जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी।

जब बंद हो रहे थें अधिकांश बिजनेस, नीलेश ने खोली चाय की दुकान

लॉकडाउन के समय जब अधिकांश बिजनेस बंद हो रहे थे, नीलेश ने अपनी पहली चाय की दुकान खोली। इस दुकान से उन्होंने रोजाना 200 लीटर चाय बेचने का नया तरीका खोज निकाला। उन्होंने मार्केट में देखा कि ज्यादातर लोग महंगी चाय या कॉफी अफोर्ड नहीं कर सकते। यदि कम दाम में अच्छी जगह पर हाइजेनिक तरीके से चाय उपलब्ध कराई जाए तो उसे लोग पसंद करेंगे। यही सोच उनके बिजनेस के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। 

यह है नीलेश के बिजनेस मॉडल की खासियत

चाय का स्वाद हर जगह एक जैसा रखना नीलेश के बिजनेस मॉडल की सबसे बड़ी खासियत है। यह ग्राहकों के भरोसे को बनाए रखता है। बिजनेस के विस्तार के लिए नीलेश ने सिर्फ  50,000 रुपये में फ्रैंचाइजी का मॉडल तैयार किया। कम पूंजी में अपना बिजनेस शुरू करने वालों के लिए यह एक अच्छे अवसर के रूप में उभरा, जो लोग अपने लिए एक परमानेंट इनकम का साधन ढूंढ़ रहे थे। यह मॉडल उनके लिए आत्मनिर्भर बनने का एक मौका बना। आज ‘ग्रेजुएट चाय एंड लस्सी’ के पूरे भारत में 500 से ज्यादा फ्रैंचाइजी आउटलेट्स हैं। इन आउटलेट्स में ग्राहकों को हर बार एक जैसा स्वाद मिलता है, क्योंकि उनकी हर दुकान पर एक ही तरह की चाय पत्ती और गुड़ का यूज होता है।
  
लॉकडाउन में भी मुनाफे में रहा नीलेश का बिजनेस

लॉकडाउन जैसी चैलेंजिंग परिस्थितियों में भी नीलेश का बिजनेस मुनाफे में रहा। यह उनके मजबूत बिजनेस प्लान और कस्टमर्स की जरूरतों को समझने की वजह से संभव हो पाया। इस सफलता के पीछे उनकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी है। टीचर से चाय कंपनी के मालिक बनने तक की उनकी जर्नी लाखों लोगों को इंस्पायर करती है।

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