पुणे की डॉक्टर कीर्थना का बचपन सेक्सुअल अब्यूज़ में गुज़रा है। पांच साल तक कीर्थना का भाई उनको मोलेस्ट करता रहा। उनकी मां हर रोज़ शराबी पति से मार खाती थीं। इतने कड़वे बचपन के बाद भी कीर्थना की आंखों में डॉक्टर बनने का सपना था। कीर्थना ने मेहनत से पढाई किया, बुरी परिस्थितियों से लड़ते हुए आखिरकार डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया।
पुणे । बलात्कार, मॉलेस्टेशन जैसे अपराध को झेलने वाली महिलाएं अक्सर डिप्रेशन में चली जाती हैं, आत्महत्या कर लेती हैं यह समाज से छुप-छुप कर कुढ़ कुढ़ कर जिंदगी गुजारती हैं। लेकिन डॉक्टर कीर्थना जी कृष्णा ने हालात से संघर्ष किया। वो जानती थी कि गलती उनकी नहीं है इसलिए उन्होंने लड़ाई की और आज वह एक सक्सेसफुल डॉक्टर है।
कौन हैं डॉक्टर कीर्थना
पुणे की डॉक्टर कीर्थना जी कृष्णा जब महज़ 3 साल की थी तो उनके पिता की डेथ हो गई । उनका बचपन दुखों से भरा था पिता शराब पीते थे और मां को पीटते थे। कीर्थना के पिता कीर्थना से प्यार करते थे लेकिन उनकी मां और भाई के प्रति पिता का रवैया बहुत खराब था। 8 साल की उम्र में कीर्थना ने अपने जीवन का सबसे भयानक दृश्य देखा। उनके पिता ने आत्महत्या कर लिया।अपने पिता के शव को कीर्थना ने पंखे से झूलते हुए देखा। उन्होंने क्यों आत्महत्या किया ये कीर्थना को आज तक ना पता चल पाया।
7 साल की उम्र में भाई ने मॉलेस्ट करना शुरू किया
छठे बर्थडे के बाद कीर्थना के भाई ने उनको मॉलेस्ट करना शुरू कर दिया यह कहते हुए की भाई बहन में यह सब चलता है और यह बात वह किसी से बताएं ना । 5 साल तक कीर्थना अपने भाई की हरकतों को बर्दाश्त करती नहीं । कीर्थना ट्रामा में जिंदगी गुजारने लगी। 12 साल की उम्र में एक दिन हिम्मत करके कीर्थना ने ये बात अपनी मां को बताई । मां ने कीर्थना का सपोर्ट किया और भाई को घर से निकाल दिया।
डॉक्टर बनना चाहती थी कीर्थना
कीर्थना बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं। 22 साल की उम्र में कीर्थना ने अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड से शादी कर लिया। कीर्थना के पति ने 1 साल के अंदर उन पर बच्चा पैदा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। और एक दिन कीर्थना को पता चला कि उनके पति का किसी से अफेयर चल रहा है। कीर्थना टूट कर बिखर गई और डिप्रेशन में चली गईं ।
मां ने हमेशा दिया साथ
कीर्थना की मां ने उनके साथ हमेशा दिया। मां ने सिंगल पैरंट बनकर बच्चों को पाला। इन सब के दरमियान कीर्थना के पास बचपन की दर्द भरी यादें हैं कुछ जख्म है जिनसे वह निकलना चाहती हैं। हालांकि कीर्थना ने हर मुश्किल को परास्त किया और आज चेन्नई के एसिक मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर हैं। वैसे तो अपनी जिंदगी के बुरे दिनों को याद नहीं करना चाहती लेकिन जब बचपन खेलने कूदने वाला ना रह जाए तो यादें पीछा करती ही रहती हैं। इन तमाम हालात के दरमियान कीर्थना की मां उनके साथ चट्टान बनकर खड़ी रही और जब बेटी डॉक्टर बनी तो मां का कलेजा फख्र से चौड़ा हो गया।
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