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अफसर बनोगी, गुरु की बात सच कर दिखाया...शगुफ्ता ने हर चुनौती को ऐसे किया पार

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Oct 03, 2024, 03:26 PM ISTUpdated : Oct 03, 2024, 03:28 PM IST
अफसर बनोगी, गुरु की बात सच कर दिखाया...शगुफ्ता ने हर चुनौती को ऐसे किया पार

सार

शगुफ्ता रहमान ने गुरु की प्रेरणा और अपने दृढ़ संकल्प से हर चुनौती को पार किया और 2018 में बिहार सेल्स टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर बनीं। आलोचनाओं और तानों को पीछे छोड़ते हुए, उन्होंने अफसर बनने के सपने को सच कर दिखाया।

नई दिल्ली। कहते हैं कि अगर आपके इरादे मजबूत हों और आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हों, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको रोक नहीं सकती। कुछ इसी हौसले और आत्मविश्वास की मिसाल पेश करती है बिहार के बेतिया जिले की शगुफ्ता रहमान की कहानी। ताने, आलोचना और समाज के दकियानूसी विचारों को पीछे छोड़ते हुए, शगुफ्ता ने अपनी मेहनत से न केवल खुद को साबित किया, बल्कि उन लोगों को भी जवाब दिया, जो हमेशा उनकी आलोचना करते थे। 

रिलेटिव और पड़ोसी बनाते थे शादी का दबाव

शगुफ्ता के जीवन में तानों और आलोचनाओं की कमी कभी नहीं रही। पड़ोसी और रिश्तेदार अक्सर उनके सांवले रंग को लेकर टिप्पणी करते थे और शादी जल्दी कराने के लिए दबाव बनाया करते थे। उनके माता-पिता पर भी ताने कसे जाते थे कि "लड़की की उम्र हो रही है, शादी कब करोगे?" लेकिन शगुफ्ता ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने सपनों के पीछे दौड़ती रहीं। उन्होंने साबित किया कि यदि आप अपने सपनों को साकार करने की ठान लें, तो कोई भी ताने या सामाजिक दबाव आपको रोक नहीं सकते।

पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी, इ​सलिए नहीं कर सकीं इंजीनियरिंग की तैयारी

शगुफ्ता की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बिहार के बेतिया में हुई। शगुफ्ता ने 12वीं में मैथ्स विषय चुना, जिसे लेकर आस-पास के लोग बातें बनाने लगे थे कि "आखिर इसे मैथ्स लेकर क्या करना है, शादी तो करनी ही है!" लेकिन शगुफ्ता ने इन बातों को नजरअंदाज किया। वह इंजीनियरिंग करना चाहती थीं। हालांकि, पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे कोटा जाकर इंजीनियरिंग की तैयारी कर पातीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ग्रेजुएशन के बाद बीपीएससी (BPSC) की तैयारी शुरू कर दी।

यहां से मिली प्रेरणा

शगुफ्ता की प्रेरणा की बात करें, तो उनके बचपन में पड़ोस में एक सरकारी अफसर अक्सर आते थे। उनकी नानी उन्हें देख कहती थीं, "तुम भी बड़ी होकर अफसर बनना।" बस यहीं से शगुफ्ता के मन में प्रशासनिक सेवा में जाने का बीज अंकुरित हुआ। उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की, पर बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा क्लियर कर लिया। इस समय पर उन्हें अपने माता-पिता का सपोर्ट  भी मिला और वे आगे की तैयारी के लिए पटना चली गईं।

गुरु रहमान ने माथे पर लिख दी सक्सेस

शगुफ्ता के जीवन में एक और महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनके पिता की मुलाकात गुरु रहमान से हुई। शगुफ्ता के पिता ने उनसे आर्थिक तंगी का जिक्र किया, लेकिन गुरु रहमान ने उन्हें आश्वासन दिया और कहा, "पढ़ाई पर ध्यान दो, फीस की चिंता मत करो।" गुरु रहमान ने अपने अंदाज में शगुफ्ता के माथे पर लिखा, "तुम अफसर बनोगी।" यह शब्द उनके लिए प्रेरणा और आत्मविश्वास का स्रोत बन गए।

पहले सार्जेंट, फिर दरोगा के रूप में सेलेक्शन, जॉइन नहीं किया

प्रीलिम्स रिजल्ट आने के 3 महीने बाद मेंस एग्जाम थे। शगुफ्ता उस परीक्षा में पास हुईं और 2013 में इंटरव्यू दिया। पर फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना सकी और एक बार फिर उन्हें लोगों के ताने सुनने पड़े। हालांकि इसी दौरान शिक्षक भर्ती में उनका चयन हो गया और उन्होंने नौकरी के साथ फिर बीपीएससी एग्जाम की प्रिपरेशन शुरू कर दी। उनकी मेहतन रंग लाई और अगले साल उनका चयन पहले सार्जेंट के पद पर हुआ और बाद में बिहार पुलिस में दरोगा सेलेक्ट हो गईं। पर उन्होंने दोनों सर्विस ज्वाइन नहीं की और बीपीएससी एग्जाम की तैयारियों में जुटी रहीं।

2018 में बीपीएससी में हुआ सेलेक्शन

उनके पिता मेडिकल स्टोर चलाते थे। फाइनेंशियल क्राइसिस भी थी। उसी बीच 2018 में उनका बीपीएससी में सेलेक्शन हो गया। बिहार के सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर नियुक्ति मिली। उनके पति डॉक्टर हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में कार्यरत हैं।

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