बाल विवाह से बचने के बाद, 9वीं क्लास की छात्रा सोमलता कुमारी ने 5 बार असफलता का सामना किया और आखिरकार बिहार सरकार में ब्लॉक पंचायती राज ऑफिसर बन गईं। पिता के समर्पण और 14 साल की कठिन मेहनत ने बेटी को अफसर बनाने में अहम भूमिका निभाई।
नई दिल्ली: बाल विवाह से बची, 9वीं में बनती दुल्हन, पर पिता बन गए थे ढाल। परिवार और रिलेटिव की शादी करने की सलाह को ठुकरा दिया। बेटी पर ही फैसला छोड़ दिया कि उसे आगे क्या करना है। बेटी ने प्रशासनिक अफसर बनने की ख्वाहिश जताई तो बस पिता उसकी ढाल बन गए। अब उसी बिटिया का बिहार सरकार में ब्लॉक पंचायती राज ऑफिसर के पद पर सेलेक्शन हुआ है। यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि उनके पिता की 14 साल की कठिन तपस्या और समर्पण का नतीजा था। हम बात कर रहे हैं बिहार के पटना की रहने वाली सोमलता कुमारी की।
पिता चलाते हैं गांव में किराने की छोटी सी दुकान
रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमलता के पिता की गांव में ही एक छोटी से किराना की दुकान है। वह पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं। शुरूआती दिनों से ही वह पढ़ने में काफी होशियार थी। पिता चाहते थे कि उनकी बेटी प्रशासनिक अफसर बने। तब सोमलता की उम्र काफी कम थी और उन्होंने इस बारे में कुछ ज्यादा नहीं सोचा था। छठीं क्लास में वह स्कूल की टॉपर बनी तो पिता ने सीधे 8वीं कक्षा में उनका एडमिशन करा दिया और बेटी से मन लगाकर पढ़ाई करने को कहा, ताकि एक दिन न्यूजपेपर में उसका नाम छपे। सोमलता ने लगातार स्कूल टॉप किया। 10वीं क्लास में बिहार में 15वीं रैंक थी।
9वीं क्लास में शादी के खिलाफ दीवार बन गए पिता
इसी दरम्यान जब वह 9वीं क्लास में थीं। तभी उनके लिए एक शादी का रिश्ता आया। परिवार और रिलेटिव ने सलाह दी कि बेटी की शादी कर देनी चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर असर पड़ेगा, तब कोई शादी नहीं करेगा। पर पिता की इच्छा बेटी को आगे पढ़ाने की थी। वह ढाल की तरह सोमलता के साथ खड़े रहे और परिवार को जवाब दिया कि अभी बेटी पढ़ेगी। बिटिया की पढ़ाई में कोई परेशानी न हो। इसलिए पिता ने जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा भी बेचा।
गुरु रहमान से मुलाकात बना लाइफ का टर्निंग प्वाइंट
सोमलता ने 12वीं पास करने के बाद जियोग्राफी से बीए ऑनर्स की डिग्री ली और बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) के एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी। उस दरम्यान भी सोमलता की शादी के लिए रिलेटिव का प्रेशर बना रहा। इस बीच सोमलता की मुलाकात एक दिन प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े एग्जाम की तैयारी कराने वाले गुरु रहमान से हुई और वही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट बन गया।
2017 बीपीएससी एग्जाम से पीछे हटाने पड़े पैर
पिता ने गुरु रहमान से अपनी फाइनेंशियल परेशानियां शेयर की और कहा कि जरूरत पड़ने पर खेत भी बेच देंगे। रहमान ने उन्हें बिटिया को असफर बनाने के लिए सपोर्ट करने का भरोसा दिलाया और सोमलता का टेस्ट लिया। जिसमें वह पूरी तरह खरी उतरीं तो उन्हें अपनी क्लास में बुला लिया। साल 2016 में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद सोमलता ने 2017 में बीपीएससी एग्जाम दिया। प्रीलिम्स पास हो गईं, पर उम्र कम होने की वजह से पीछे हटना पड़ा।
लगातार 5 असफलताओं के बाद सक्सेस
सोमलता फिर अगले साल एग्जाम में बैठीं। प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू तक पहुंची। पर फाइनल नतीजों में उनका नाम नहीं था। 2019, 2020 और 2021 के एग्जाम में भी उन्हें सक्सेस नहीं मिली। बिहार पुलिस के दरोगा भर्ती एग्जाम के फाइनल नतीजों में असफलता मिली। इस तरह वह 5 बार लगातार फेल हुईं। आखिरकार एक दिन सोमलता का इंतजार खत्म हुआ। बीपीएससी एग्जाम में उन्हें सफलता मिली। समस्तीपुर के मोहनपुर ब्लॉक में पोस्टिंग मिली है। पिता का भी 14 साल का प्रयास पूरा हुआ।
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