इको फ्रेंडली गणेश-लक्ष्मी मूर्तियां दे रहीं रोजगार, खास इतनी कि यूपी के इस जिले का चमक रहा नाम

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Oct 31, 2024, 4:30 PM IST
Highlights

सोनभद्र की महिलाएं इस दीपावली पर इको-फ्रेंडली गणेश-लक्ष्मी मूर्तियां बना रही हैं, जो गाय के गोबर, पंचगव्य और बीजों से निर्मित हैं। यह अनोखा प्रयोग न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रहा है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भरता का अवसर भी दे रहा है।

सोनभद्र। यूपी के सोनभद्र जिले की महिलाएं इस बार दीपावली की ट्रेडिशनल मूर्तियां नये तरीके से बना रही हैं। गाय के गोबर से गणेश-लक्ष्मी की इको-फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण किया है, जिनमें पंचगव्य और कई बीजों को भी मिलाया गया है। इस इनोवेटिव थिंकिंग से न केवल परंपरा को नए अंदाज में प्रस्तुत किया गया है, बल्कि स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का भी अवसर मिला है। इन मूर्तियों की अब देश के कई शहरों में डिमांड है। जिसकी वजह से सोनभद्र का नाम पूरे प्रदेश में रोशन हो रहा है।

'वोकल फॉर लोकल' की दिशा में बड़ा कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को साकार करने के लिए सोनभद्र की महिलाओं ने यह शुरूआत की है। जिसका मकसद पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना, परंपराओं को जीवंत बनाए रखना और प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी प्रदूषणकारी मूर्तियों का विकल्प समाज के सामने पेश करना था। मूर्तियों के निर्माण में पंचगव्य का यूज किया गया है, जिससे इनका धार्मिक महत्व भी बढ़ गया है।

महिलाओं के लिए रोजगार का नया जरिया

इस अनोखे प्रयास से स्थानीय महिलाओं को भी रोजगार का एक नया अवसर मिला है। कई स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मूर्तियों और दीपकों का निर्माण कर रही हैं, जिसमें बच्चों का भी सहयोग शामिल है। महिलाएं इस काम को लेकर न केवल उत्साहित हैं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता का अनुभव हो रहा है।

‘पंचगव्य’ की मूर्तियां पसंदीदा विकल्प

इस बार सोनभद्र के बने पंचगव्य के दीपक और मूर्तियां केवल जनपद में ही नहीं, बल्कि लखनऊ, काशी, और मथुरा जैसे बड़े शहरों में भी बिक रही हैं। इन इको-फ्रेंडली मूर्तियों की खासियत ने लोगों को अट्रैक्ट किया है। इसके साथ ही, जिले के विकास भवन परिसर और अन्य दुकानों पर भी इनका स्टॉल लगाया जा रहा है। इस पहल से न केवल जिले के बाजार को मजबूती मिली है, बल्कि सोनभद्र का नाम अन्य जगहों पर भी पहुंच रहा है।

ये भी पढें-उधार के 5000 रुपये से शुरूआत, कैसे बने 42,000 करोड़ के बिजनेस टायकून?.

click me!