जानिए कैसे बिहार के समस्तीपुर और पटना के युवा उद्यमियों ने छोटे स्टार्टअप से बड़ी सफलता हासिल की। अमरदीप के अगरबत्ती बिजनेस का टर्नओवर ₹6 लाख से ₹3.5 करोड़ तक पहुंचा, जबकि रजनीश की ई-साइकिल का बिजनेस ₹70 हजार से ₹2 करोड़ तक बढ़ा।
पटना। आपने बड़े-बुजुर्गों से अक्सर सुना होगा कि कोई काम छोटा नहीं होता है। ये छोटे—छोटे काम ही बड़ी संभावनाओं की राह खोल रहे हैं। बिहार के समस्तीपुर के रामपुर समथू गांव के अमरदीप कुमार और बिटहा के रजनीश कुमार का काम इसका उदाहरण है। अमरदीप का अगरबत्ती उद्योग और रजनीश की ई-साइकिल का बिजनेस छोटे स्तर से शुरू होकर आज बड़े कारोबार में तब्दील हो गया है। सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिला है। बिहार बिजनेस कनेक्ट में उनके स्टार्टअप की धूम देखी गई, जहां इन युवा बिजनेसमैन ने अपनी सक्सेस स्टोरी बताई।
100 परिवारों को रोजगार
अमरदीप के अगरबत्ती बिजनेस का ब्रांड नाम मोरंग है। ब्रांड के नामकरण के पीछे की वजह भी काफी दिलचस्प है। दरअसल, पहले काफी लोग मिथिला क्षेत्र से रोजगार के लिए पलायन कर नेपाल के मोरंग शहर का रूख करते थे। इलाके में यह इतना प्रचलित था कि कई लोकगीतों में भी उस शहर का नाम आता है। इसी वजह से अमरदीप ने अपनी अगरबत्ती ब्रांड का नाम ही मोरंग देश रख दिया। मौजूदा समय में उनके अगरबत्ती उद्योग से 100 परिवार जुड़े हुए हैं।
6 लाख रुपये से साढ़े तीन करोड़ टर्नओवर तक पहुंचा बिजनेस
शुरूआत में अमरदीप बिजनेस का टर्नओवर महज 6 लाख रुपये था, जो अब साढ़े तीन करोड़ तक पहुंच गया है। उनका प्रोडक्ट सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुबई और सिंगापुर तक जाता है। अगरबत्ती की खासियत यह है कि इसे फूल और ईख से तैयार किया जाता है। वह कम लागत में क्वालिटी वाले प्रोडक्ट भी तैयार करने की तैयारी कर रहे हैं। इस सिलसिले में रिसर्च भी चल रहा है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वह अगरबत्ती उद्योग में एक नया उदाहरण पेश करेंगे।
70 हजार से शुरू किया बिजनेस, अब नाइजीरिया से आर्डर
बीरो पॉवर स्टार्टअप के रजनीश कुमार पटना के बिटहा में ई-साइकिल उद्योग चला रहे हैं। जहां सभी उम्र के लोगों के लिए ई-साइकिल बनती है। नाइजीरिया में उनके प्रोडक्ट की टेस्टिंग भी चल रही है। जिसके नतीजे सकारात्मक हैं। जल्द ही नाइजीरिया से हर महीने 500 ई-साइकिल का ऑर्डर भी मिलने की उम्मीद है। आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने साल 2021 में महज 70 हजार रुपये से यह बिजनेस शुरू किया था, जो अब 2 करोड़ रुपये से अधिक के बिजनेस में तब्दील हो चुका है। उनके ई-साइकिलों की कीमत 20 से 50 हजार रुपये तक है। प्रोडक्ट की क्वालिटी बढ़ाने के लिए रिसर्च भी जारी है। एक पेंटेंट हासिल हो चुका है, जबकि 4 पेटेंट प्रॉसेस में हैं। आइआइटी पटना के इंक्यूबेशन सेंटर के गाइडेंस में हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर काम चल रहा है।
ये भी पढें-स्कूल ड्रॉपआउट से करोड़पति: कैसे बना 19,621 करोड़ का बिजनेस टायकून?